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टिकट कटने के बाद पहली बार एक साथ नजर आए सिंधिया और केपी यादव, पक रही कौन सी राजनीतिक खिचड़ी?

राहुल जैन

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टिकट कटने के बाद पहली बार एक साथ नजर आए सिंधिया और केपी यादव
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Loksabha Election 2024: बीजेपी ने मध्य प्रदेश की 24 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है, जिसमें कई मौजूदा सांसदों के टिकट काटे गए हैं. सबसे ज्यादा चर्चा गुना सांसद केपी यादव की है. केपी यादव (KP Yadav) का टिकट काटकर ज्योततिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है. दोनों नेताओं के बीच अनबन की खबरें सामने आ रही थीं, इस बीच एक तस्वीर ने ऐसे कयासों पर विराम लगा दिया है. टिकट कटने के बाद सिंधिया और केपी यादव पहली बार एक साथ मंच पर साथ नजर आए, जिससे हर कोई हैरान रह गया.

ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुना सांसद केपी यादव एक ही मंच पर नजर आए. सिंधिया ने मंच से अपने भाषण शुरू करते ही सांसद केपी यादव का नाम लेते हुए कहा कि "हमारे सांसद केपी यादव साहेब".... इसके बाद अन्य नेताओं के नाम लेने के बाद सिंधिया ने अपने भाषण को आगे बढ़ाया.

सिंधिया ने नाम लिया और तालियां बजने लगीं

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2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया और केपी यादव दोनों ही नेता लगातार एक दूसरे से मंचों पर बचते नजर आते थे. बुधवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम डॉ मोहन यादव चंदेरी में एक कार्यक्रम में आए हुए थे, सीएम के साथ ही सिंधिया भी मंच पर थे तो वहीं केपी यादव भी इसी मंच पर बैठे हुए थे. सिंधिया ने जब सांसद केपी यादव का नाम लिया तो तालियां बजने लगीं.  सिंधिया ने नाराज नेताओं को मनाना शुरू कर दिया है, केपी यादव से इसकी शुरुआत होती नजर आ रही है.

केपी यादव का सियासी भविष्य क्या होगा? 

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गुना लोकसभा का टिकट घोषित होने के बाद सियासी गलियारों में चर्चाएं थी कि केपी यादव भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. लेकिन, इन अटकलों पर विराम लग चुका है. केपी यादव बुधवार को भोपाल के संघ कार्यालय में भी मुलाकात के लिए पहुंचे थे. माना जा रहा है कि भाजपा केपी यादव को संगठन कोई जिम्मेदारी दे सकती है, या फिर उन्हें आगे के समय में राज्यसभा भेजा सकता है. 

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केपी यादव और सिंधिया की लड़ाई

दरअसल, गुना लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद केपी यादव का टिकट काटकर इस बार भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को मौका दिया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया को उनके ही समर्थक केपी यादव ने करारी हार का मुंह दिखाया था. इसके बाद सांसद केपी यादव का कद व नाम एकदम ऊंचा हुआ था. सिंधिया के हारने के बाद ही लगातार दोनों में जुबानी जंग चल रही थी. जब सिंधिया कांग्रेस में थे तब भी ये जंग जारी थी, कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया तो दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई अक्सर देखने को मिली. कई मौके ऐसे आए जब सांसद केपी यादव का नाम कार्यक्रम में नहीं लिया गया, जिसकी शिकायत केपी यादव ने वरिष्ठ नेताओं से मौखिक व पत्र के माध्यम से इसकी शिकायत भी की, जो कि मीडिया में भी काफी चर्चा का विषय रहा.

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