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शिवराज सिंह चौहान के CM बनने को लेकर क्या सोचते हैं उनके PWD मंत्री गोपाल भार्गव, जानें

अभिषेक शर्मा

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Gopal Bhargava Interview, CM Shivraj Singh Chauhan, BJP CM Face, MP BJP
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Gopal Bhargava Interview: बीजेपी की वर्तमान कैबिनेट में सबसे पुराने विधायक और मंत्री माने जाने वाले गोपाल भार्गव लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. उनके तीखे बयान कई बार उनकी पार्टी को ही असहज कर देते हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान को लेकर अक्सर उनके मतभेदों की खबरें भी मीडिया में सामने आई हैं. हालांकि वे मतभेदों से इनकार करते रहे हैं. लेकिन उनके बयानों के जरिए कई बार उनके अंदर मौजूद ये महत्वाकांक्षा भी सामने आ चुकी है कि वे खुद भी मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखते हैं. लेकिन सीएम शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने को लेकर वे खुद क्या सोचते हैं, ऐसे तमाम राजनीतिक सवालों को लेकर MP Tak ने उनसे खास बातचीत की.

शिवराज सिंह चौहान के साथ किसी भी तरह के मतभेद होने के सवालों को गोपाल भार्गव खारिज करते हैं. वे कहते हैं कि वे शिवराज सिंह चौहान से राजनीति में सीनियर हैं. लेकिन उनके साथ किसी तरह के उनके कोई मतभेद नहीं है. लेकिन जब उनसे यह सवाल पूछा जाता है कि यदि बीजेपी विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल कर सत्ता में आती है और केंद्रीय नेतृत्व एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान को ही मुख्यमंत्री बनाया जाना तय करते हैं तो क्या इस फैसले में उनकी सहमति होगी तो इसका जवाब देने से वे बचने लगते हैं.

गोपाल भार्गव कहते हैं कि यह बेहद काल्पनिक सवाल है. इसका जवाब नहीं दिया जा सकता है. शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं, यह तय करने का काम केंद्रीय नेतृत्व का है. उनके सीएम बनने को लेकर मेरी कोई सहमति है या नहीं, इस तरह का कोई सवाल बनता ही नहीं है तो इसका मैं जवाब नहीं दे सकता.

बेटे अभिषेक भार्गव के लिए चाहते हैं कि पार्टी उनको टिकट दे

गोपाल भार्गव MP Tak से बातचीत में स्वीकार करते हैं कि वे चाहते हैं कि उनकी पार्टी उनके बेटे अभिषेक भार्गव के काम को नोटिस करे. गोपाल भार्गव कहते हैं कि उनका बेटा अभिषेक पिछले 20 साल से पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा है और उनकी रहली विधानसभा में वह उनका सबसे बड़ा सहयोगी है. ऐसे में वे चाहते हैं कि पार्टी से अभिषेक भार्गव को टिकट मिले. हालांकि जब उनसे पूछा जाता है कि आपकी विधानसभा में जीत का अंतर सवा लाख वोटों से घटकर साढ़े 22 हजार के आसपास क्यों रह गया है तो वे बोलते हैं कि उनके क्षेत्र में जातिवाद हावी है और उसके कारण ही उनकी जीत का अंतर घटा है.

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खुद की तरक्की की भी रख रहे हैं चाहत

गोपाल भार्गव बताते हैं कि उन्होंने शिक्षकों के जिस कार्यक्रम में यह कहा था कि हर आदमी जीवन में तरक्की चाहता है और वे भी चाहते हैं कि इतने साल मंत्री रहने के बाद अब कुछ और तरक्की हो जाए तो उस बात में गलत ही क्या है. महत्वाकांक्षी होना कोई बुरी बात तो नहीं है. कुल मिलाकर गोपाल भार्गव साफ तौर पर संकेत देने की कोशिश करते हैं कि उनके खुद की भी इस तरह की महत्वाकांक्षा है, जिसमें पार्टी उनको सीएम कैंडिडेट के रूप में सामने रखे.

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