MP: मानसून सत्र 2 दिन में खत्म, 4 घंटे भी नहीं चला सदन, कमलनाथ ने लगाया ये गंभीर आराेप
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MP Vidhansabha News: मध्यप्रदेश विधानसभा दो दिन भी नहीं चल पाई, कल कुछ घंटे चले और आज कुछ घंटे, मांग क्या थी? हमारी मांग थी कि आदिवासियों पर जो अत्याचार किया जा रहा है, उस पर सदन स्थगन प्रस्ताव लाएं, ये स्थगन प्रस्ताव को नहीं मानते, लेकिन मैं कहता हूं चर्चा तो करते, लेकिन उस पर चर्चा करने को भी तैयार नहीं है. ये बात 15वीं विधानसभा के अंतिम सत्र को अनिश्चतकाल के लिए स्थगित होने पर पूर्व सीएम कमलनाथ ने कही.
उन्होंने विधानसभा स्थगित होने के लिए बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, ‘महाकाल लोक का इतना बड़ा घोटाला, सतपुड़ा भवन में आग लगी, कितनी बड़ी आग थी, उस चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं. मंहगाई पर, बेरोजगारी पर, पूरे प्रदेश में अव्यवस्था है.’
कमलनाथ ने आगे कहा, ‘ये किसी चीज में चर्चा करने को तैयार नहीं. ये सदन का सामना तो छोड़िए, हालात ऐसे हैं कि ये प्रदेश का सामना भी नहीं कर पा रहे हैं.’ दरअसल, विधानसभा का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. 11 जुलाई से 15 जुलाई तक 5 दिन सत्र चलना था, लेकिन ये 2 दिन में ही खत्म हो गया. इन दो दिनों में भी सत्र 4 घंटे ठीक से नहीं चला. विपक्ष के भारी हंगामे के बीच दोनों दिन 2-2 घंटे ही सदन चल पाया है.
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26 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट पास
बुधवार को सत्र के दूसरे दिन भारी हंगामे के बीच वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 26 हजार 816 करोड़ 63 लाख 87 हजार रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया. हुक्का बार और तंबाकू से बने उत्पाद के विज्ञापन पर बैन के लिए संशोधित विधेयक को मंजूरी दी गई. सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने महाकाल लोक भ्रष्टाचार, आदिवासी अत्याचार, सतपुड़ा भावन की आग के मामले में जांच की मांग को लेकर नारेबाजी की. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया. इससे पहले प्रश्नकाल के बाद सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित हुई.
कमलनाथ ने कहा- जनता की बात हमसे ही सुन लेती सरकार
कमलनाथ ने कहा, ‘मैंने यहां पर लोकसभा के सदस्य के रूप में सदन का नेता के रूप में विधानसभा में प्रवेश किया था, उसके बाद मैं विधानसभा का सदस्य बना. मुझे इस विधानसभा से जो उम्मीद थी, मुझे 40 साल का अनुभव रहा है. इसका फायदा उठाते. जनता तक अपनी बात पहुंचाते, ये भी जनता की बात हमसे सुन लेते, लेकिन वह भी ये सुनना नहीं चाहते हैं. बस दबा दो, छिपा दो. यही इनका काम है. चीता की बात हो, आदिवासी की बात हो, हर चीज में अव्यवस्था है. बड़े दुख की बात है कि आज मध्य प्रदेश को कहां घसीटा जा रहा है.’
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कमलनाथ ने कहा- पटवारी घोटाला तो एक उदाहरण है, रोज कुछ न कुछ घोटाला हो रहा है. पैसे दो और काम लो, ये इनकी नीति बन गई है. गांव में, अंचल में, हर जगह भ्रष्टाचार है.
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