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पटवारी परीक्षा में धांधली, युवाओं का बढ़ता गुस्सा! चुनाव में शिवराज सरकार की बढ़ सकती हैं मुश्किलें?

रवीशपाल सिंह

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Patwari exam scam Shivraj government mp elections 2023
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MP Election 2023: मध्य प्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा में धांधली के आरोपों ने सत्तारूढ़ बीजेपी को मुश्किल में डाल दिया है. इस परीक्षा में कई अभ्यर्थियों को उच्च अंक मिलने के बाद से ही विवाद शुरू हो गया था. इसके बाद, टॉप 10 में शामिल सभी अभ्यर्थी एक ही कॉलेज के निकले, जिसने इस मामले में और भी ज्यादा संदेह पैदा कर दिया. मध्य प्रदेश के युवाओं में इस परीक्षा में धांधली के आरोपों को लेकर खासा गुस्सा है. वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस मामले की जल्द से जल्द जांच की जाए और दोषियों को सजा दी जाए.

अगर सरकार पटवारी परीक्षा में हुई धांधली को लेकर में जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं करती है, तो यह आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है.

युवाओं ने कहा- खतरे में है हमारा भविष्य
भोपाल के रहने वाले 30 साल के नीलेश श्रीवास्तव एमपीपीएससी की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने पटवारी भर्ती परीक्षा में भाग लिया, लेकिन उनका चयन नहीं हुआ. नीलेश कहते हैं कि वे इस परीक्षा में इसलिए शामिल हुए ताकि उन्हें परीक्षा देने का अनुभव मिल सके. वे कहते हैं कि वे खुशकिस्मत हैं कि उनका चयन नहीं हुआ, क्योंकि अब इस परीक्षा पर धांधली के आरोप लग रहे हैं. नीलेश कहते हैं कि वे इस परीक्षा में मेहनत कर रहे थे, लेकिन अब उनका भविष्य खतरे में पड़ गया है.

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रीवा की रहने वाली निधि सिंह का पटवारी भर्ती परीक्षा में चयन हो गया है, लेकिन वे इस परीक्षा में धांधली के आरोपों के बाद परेशान हैं. निधि कहती हैं कि उन्होंने पटवारी भर्ती परीक्षा से पहले एमपीपीएससी, सीजीएल और कैट परीक्षा दी थी, लेकिन उनका चयन नहीं हुआ. निधि कहती हैं कि जब उनका चयन पटवारी के पद पर हुआ तो उन्हें लगा कि अब सब ठीक हो जाएगा, लेकिन अब इस परीक्षा पर धांधली के आरोप लग रहे हैं. निधि कहती हैं कि वे सरकार से मांग करती हैं कि जल्द से जल्द इस मामले की जांच की जाए और दोषियों को सजा दी जाए.

चुनाव में युवाओं की रहेगी अहम भूमिका
मध्य प्रदेश में युवा वोटरों की संख्या पिछले चुनाव के मुकाबले काफी बढ़ गई है. 2018 के विधानसभा चुनाव में, युवा वोटरों की संख्या करीब 5 करोड़ 7 लाख थी, जो 2023 तक बढ़कर करीब 5 करोड़ 40 लाख 90 हज़ार हो गई है. इसका मतलब पहली बार चुनाव में वोट डालने वाले 21 साल तक के युवा वोटरों की संख्या करीब 30 लाख है. वहीं 18 से 40 साल तक के युवाओं की बात करें तो उनकी संख्या करीब 2 करोड़ 80 लाख है.

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बेरोजगारी और नौकरी सबसे अहम मुद्दा
बेरोज़गारी और नौकरी हमेशा से ही युवाओं के लिए सबसे अहम मुद्दा रहा है. मध्य प्रदेश में युवाओं की बेरोज़गारी दर 16.5% है, जो देश के औसत से काफी अधिक है. इस वजह से युवाओं में सरकार के प्रति एक ख़राब राय बनी हुई है. पटवारी भर्ती परीक्षा में धांधली के आरोपों ने इस ख़राब राय को और भी गहरा कर दिया है. युवाओं को लगता है कि सरकार भ्रष्ट है और वह उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है. अगर सरकार इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं करती है, तो यह आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है.

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यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है. अगर सरकार इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं करती है, तो यह आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है.

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