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नरेंद्र सिंह तोमर को टिकट देने के पीछे निकली चौंकाने वाली कहानी, 15 साल बाद इसलिए BJP लड़ा रही चुनाव

अभिषेक शर्मा

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Narendra Singh Tomar, MP politics, Madhya Pradesh, Indore, Rahul gandhi
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MP Election 2023: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बीजेपी 15 साल बाद विधानसभा चुनाव लड़वाने जा रही है. बीते दिनों बीजेपी ने अपनी दूसरी सूची जारी की, जिसमें 39 उम्मीदवारों को विधानसभा चुनाव लड़ने टिकट दिए गए हैं. पीएम नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में लगातार 9 साल से मंत्री बने हुए नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है. नरेंद्र सिंह तोमर वर्तमान में मुरैना-श्योपुर संसदीय सीट से सांसद हैं और दिमनी विधानसभा इसी संसदीय सीट के अंतर्गत आती है. लेकिन राजनीतिक हलकों में नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी सीट से टिकट देने के पीछे कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं.

जिस दिमनी विधानसभा सीट पर नरेंद्र सिंह तोमर को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है, वह कांग्रेस की कब्जे वाली मजबूत सीट है. वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस के विधायक रविंद्र सिंह तोमर काबिज हैं. 2013 से दिमनी सीट बीजेपी से दूर है. यहां पर 2013 में एक बार बसपा और शेष सभी चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत मिली है.

ऐसे में जिस सीट पर कांग्रेस का कब्जा मजबूती से है, उस सीट पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाकर बड़े संकेत दिए हैं. एमपी तक ने जब क्षेत्र के वरिष्ठ राजनेताओं और वरिष्ठ पत्रकारों से बात की तो नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी से टिकट दिए जाने के पीछे चौकाने वाली कहानी निकलकर आई है.

पहले समझें दिमनी सीट का गणित

1998 से लेकर 2008 तक दिमनी सीट बीजेपी के पास रही. तब यह आरक्षित सीट होती थी. 2008 में जब यह सीट सामान्य हो गई तब भी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार जीतते रहे. लेकिन 2013 के चुनाव में बसपा उम्मीदवार बलबीर सिंह दंडोतिया विजयी रहे. 2018 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार गिर्राज दंडोतिया जीते जो सिंधिया समर्थक हैं लेकिन सिंधिया के कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में आने के बाद वे भी बीजेपी में आ गए थे. 2020 के उप चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र सिंह तोमर विजयी रहे.

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निर्णायक वोटर तोमर राजपूत हैं यहां पर

दिमनी सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 201517 है. लेकिन इनमें सबसे निर्णायक वोटर हैं तोमर राजपूत. इनकी संख्या लगभग 65 हजार से भी ऊपर है. दूसरे नंबर पर ब्राह्मण और एससी वोटर्स हैं. दिमनी सीट को इसलिए तंवरघार भी बोला जाता है. क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार विनोद त्रिपाठी बताते हैं कि कांग्रेस के कब्जे और प्रभाव वाली दिमनी सीट पर नरेंद्र सिंह तोमर को लाने की वजह ही उनका तोमर होना और दिमनी में तोमर वोटरों का निर्णायक होना है. दूसरी बड़ी वजह है कि नरेंद्र सिंह तोमर बड़े नेता हैं और उनके चंबल के अंदर चुनाव लड़ने की वजह से चंबल क्षेत्र की दूसरी सीटों पर भी बीजेपी प्रत्याशियों के लिए एक माहौल बनेगा. बीजेपी हर हाल में ग्वालियर-चंबल से अधिक सीटें जीतना चाहती है, क्योंकि यहां की 34 में से 26 सीटें जीतकर ही कांग्रेस ने 2018 में अपनी सरकार बना ली थी.

बड़े नेता हैं, इसलिए जीत की जिम्मेदारी भी लेनी होगी

नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी सीट पर लाने को लेकर बीजेपी के अंदरखाने की बड़ी सूचना ये हैं कि नरेंद्र सिंह तोमर पार्टी में बड़े नेता है और उनके जैसे सभी बड़े नेताओं को इस बार बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने जीत की जिम्मेदारी दी है. बीजेपी संगठन चाहता है कि जो नेता मोदी लहर में लोकसभा के चुनाव जीतते रहे हैं वे अपनी दम पर अब पार्टी को विधानसभा चुनाव जिताकर दें. इसके पीछे के बड़े संकेत मध्यप्रदेश में अब नई लीडरशिप की तैयारी को लेकर भी दिए गए हैं लेकिन इसे लेकर बीजेपी के अंदर बड़े नेता फिलहाल खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.

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