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Madhviraje Scindia News: 23 साल बाद दिग्विजय सिंह ने रखा सिंधिया महल में कदम? क्यों हुए भावुक

सर्वेश पुरोहित

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Digvijay Singh Meet Scindia: पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी मुलाकात की. वहीं राजमाता को श्रद्धांजलि देते हुए दिग्विजय सिंह भावुक नजर आए. 

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Digvijay Singh Meet Scindia: सिंधिया और दिग्विजय सिंह की अदावत पुरानी है, मगर यह तस्वीर नई है और इस तस्वीर के मायने भी बहुत कुछ निकाले जा रहे हैं. दरअसल, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी मुलाकात की. वहीं राजमाता को श्रद्धांजलि देते हुए दिग्विजय सिंह भावुक नजर आए. 

23 साल बाद दिग्विजय सिंह ने रखा सिंधिया महल में कदम?

जयविलास पैलेस पहुंचे दिग्विजय सिंह के श्रद्धांजलि अर्पित करने से ज्यादा इस बात की चर्चा हो रही है कि 23 साल बाद दिग्विजय सिंह ने सिंधिया के महल में कदम रखा. जानने वाले बताते हैं कि पूरे 23 साल बाद दिग्विजय सिंह ने सिंधिया महल में कदम रखा है.

माधवीराजे सिंधिया को याद कर भावुक हुए दिग्विजय

दिग्विजय सिंह ने कहा, स्वर्गीय राजमाता साहब कि सदैव मुझ पर अत्यंत कृपा रही है. उनके और स्वर्गीय माधवराव सिंधिया जी के विवाह के बाद से ही हमारे पारिवारिक रिश्ते रहे. उसके पूर्व से ही राजमाता विजय राजे सिंधिया की बड़ी कृपा रही मुझ पर." वहीं माधवीराजे सिंधिया के बारे में दिग्विजय सिंह आगे कहते हैं, "वे एक अत्याधिक बहादुर महिला थीं और उनके जाने से हमें एक अपूर्णीय क्षति हुई है. अनेक ऐसे समय आये, जब उनका पूरा स्नेह और आशीर्वाद और प्रेम मुझे मिला. मैं उनको आज विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं."

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तब दिग्विजय ने संभाली थी सिंधिया परिवार की जिम्मेदारी

कहा जाता है कि माधवराव सिंधिया और दिग्विजय सिंह भी एक समय पर सियासी तौर पर आमने-सामने थे, लेकिन दोनों एक ही पार्टी में थे. एक सच यह भी है जिसे जानकार बताते हैं कि जब 2001 में माधवराव सिंधिया का निधन हुआ था, उस समय दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे और उन्होंने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पूरे 11 दिन ग्वालियर में बिताए थे और सिंधिया के पिता के संस्कार से लेकर तमाम व्यवस्थाओं को दिग्विजय सिंह खुद देख रहे थे. यानी कि दिग्विजय सिंह ने उस दौर में अपना दायित्व निभाया था, यह अलग बात है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद से दोनों नेता एक-दूसरे पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं.

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