RAISEN NEWS: मध्यप्रदेश के रायसेन में स्थित विश्व प्रसिद्ध भोजेश्वर महादेव के दर्शन करने सुबह 7 बजे से ही भक्तों का तांता लग गया था. आपको बता दें कि यह मंदिर 10 बी शताब्दी में राजा भोज द्वारा स्थापित किया हुआ प्राचीन मंदिर है जो विश्व में सबसे बड़े और विशाल शिवलिंग के लिए जाना जाता है. दावा किया जाता है कि भोजपुर के अलावा विश्व में इससे बड़ा शिवलिंग कहीं पर भी नहीं है. पुरातत्व विभाग की देखरेख में इस मंदिर की गतिविधियां संचालित होती हैं. महाशिवरात्रि पर दर्शन कराने पुरातत्व विभाग ने विशेष व्यवस्थाएं की थीं.
रायसेन जिले के भोजपुर का भोजेश्वर मंदिर अपने समय की वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण है. मंदिर का पूरी तरह भरा हुआ नक्काशीदार गुम्बद और पत्थर की संरचनाएं, जटिल नक्काशी से तैयार किये गए प्रवेश द्वार और उनके दोनों तरफ उत्कृष्टता से गढ़ी गई आकृतियाँ देखने वालों का स्वागत करती हैं. मंदिर की बालकनियों को विशाल कोष्ठक और खंभों का सहारा दिया गया है.
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मंदिर की बाहरी दीवारों और ढाँचे को कभी बनाया ही नहीं गया. मंदिर को गुंबद के स्तर तक बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया मिट्टी का रैम्प अभी तक दिखाई पड़ता है. जो इमारत निर्माण कला (चिनाई) में पुरातन बुद्धिमत्ता को दर्शाता है. भोजपुर बलुआ पत्थर की रिज जो मध्य भारत की विशेषता है, उस पर बसाया गया 11 वीं सदी का एक शहर है. यह मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. बेतवा नदी पुनः बनाए गए इस प्राचीन शहर के पास बहती है. महाशिवरात्रि पर दर्शन करने के लिए जहां श्रद्धालुओं का ताँता लगा हुआ हैं तो वहीं प्रशासन ने भी पुख्ता इंतेजामात कर रखे हैं.
मंदिर पर किए हैं प्रशासन ने विशेष इंतजाम
एसडीएम गोहरगंज अनिल जैन ने बताया कि महाशिवरात्रि को देखते हुए जिला प्रशासन ने यहां पर विशेष इंतजाम किए हैं. श्रद्धालुओं के वाहनों को 2 किमी. पहले ही पार्किंग में लगवाया जा रहा है और पुलिस बल की मदद से श्रद्धालुओं को एक कतार में करके मंदिर परिसर तक आने दिया जा रहा है. किसी तरह की भगदड़ या अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए यहां पर पर्याप्त पुलिस बल को तैनात किया गया है. सभी श्रद्धालु अभी तक आसानी से भगवान के दर्शन कर पा रहे हैं. मंदिर परिसर से कुछ दूरी पर प्रसाद वितरण के स्टॉल लगवाए गए हैं.
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