Ratlam news: रतलाम जिले के रावटी में गौ माता के प्रति लगाव का एक अनौखा दृश्य देखने को मिला है. यह दृश्य जिसने देखा वह चत्तर परिवार के गौमाता के प्रति प्रेम की चर्चा करने में लग गया. सम्भवतः रतलाम जिले का यह पहला एव बिरला उदाहरण है कि गाय के निधन के बाद उसकी अंतिम क्रिया गाजे बाजे से हुई. जिसमे सभी गौ प्रेमी शरीक समेत ग्रामीण भी हुए हैं. मूक प्राणी को इस तरह विदाई जिसने भी देखी हर देखने वाले की आंखें नम हो गई.
जानकारी के मुताबिक रतलाम जिले के आदिवासी अंचल रावटी के चका सेठ की गाय विगत डेढ़ साल से बीमार थी. जिसके इलाज में पूरा परिवार लगा हुआ था. घर के सभी सदस्य अपनी लाडली गाय का घर के सदस्य की तरह ही ध्यान रखते ओर देखभाल करते थे.लेकिन जब लंबी बीमारी के बाद गाय का निधन हुआ तो पूरे परिवार में शोक पसर गया. गौ माता की इस अंतिम विदाई में गांव के सैकड़ों लोग भी शामिल हुए. अब यह परिवार गौ माता की तेरहवीं करने की तैयारी में जुटा है.
अंतिम यात्रा का आयोजन
बीमारी के चलते आज सुबह गौमाता कि मृत्यु हो गई जिसके बाद इस परिवार ने गौ माता को अपने परिवार का सदस्य मानकर पूरे विधि विधान और रस्मो रिवाज के साथ उसे अपने घर से विदा किया गया. बकायदा गौ माता के लिए ट्रैक्टर ट्रॉली को फूलो से सजाया गया. गौमाता कि देह को रखकर कर पूरे गांव में शोभायात्रा निकाली गई. जिस भी ग्रामीण ने यह नजारा देखा उसकी आंखें नम हो गई और जिस भी सड़क से गौ माता की अंतिम यात्रा निकली वहां ग्रामीणों ने उनकी पूजा-अर्चना की गई. अब ये अंतिम यात्रा पूरे जिले के साथ ही प्रदेश भर में चर्चा का विषय बनी हुई है.
मंदिर बनाने का निर्णय
अंतिम यात्रा में रास्ते भर गौप्रेमियो ने पुष्पहार अर्पित कर बिदाई दी. मुख्य मार्ग से होती हुई गौमाता की अंतिम यात्रा तेजाजी मंदिर पर पहुँची. यहा मन्दिर के सामने समाधि दी गई. इसके साथ ही यह निर्णय लिया गया कि यहा पर मंदिर बनाकर गाय के बछड़े की मूर्ति की स्थापना कि जाएगी.
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