सीहोर: भगोरिया हाट की धूम, ढोल नगाड़े और डीजे की धुन पर जमकर थिरके
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Sehore news: मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में भगोरिया की धूम शुरू हो गई है.जगह-जगह पर भगोरिया मेला लगा हुआ है. एक हफ्ते पहले शुरू होने वाले इस उत्सव का आदिवासी समुदाय को बेसब्री से इंतजार रहता है. सीहोर जिले में भी आदिवासी अंचलों में भगोरिया मेले में भारी उत्साह के साथ आदिवासियों को देखा जा सकता है. जिले के ब्रिजिसनगर में भगोरिया मेला आयोजित हुआ, जिसमें आदिवासियों की भारी भीड़ देखने को मिली, वहीं डीजे की धुन पर आदिवासी जमकर थिरकते नाचते नजर आए है.
जानकारी के अनुसार होली से पूर्व आदिवासी अंचलों में भगोरिया मेले का आयोजन हो रहा है, जिसमें आदिवासी पारंपारिक वेशभूषा के साथ नजर आ रहे हैं. साथ ही ढोल मादक और डीजे की धुन पर जमकर नाचते थिरकते नजर आ रहे हैं. जिले के आदिवासी अंचलों में भगोरिया मेले के दौरान भारी उत्साह देखने को मिल रहा है. जिले की ग्राम ब्रिजिसनगर में आज भगोरिया मेला आयोजित किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लाेग शामिल हुए,
डीजे की धुन पर जमकर थिरके आदिवासी
जिले के ग्राम ब्रिजिसनगर में भगोरिया मेला आयोजित किया गया, जिसमें आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए, इस दौरान एक चल समारोह भी निकाला गया, वही भगोरिया मेले में आदिवासी युवक युवती बच्चें डीजे की धुन पर जमकर थिरकते नाचते नजर आए.
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पारंपारिक वेशभूषा में दिखे आदिवासी
इस भगोरिया मेले में आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिल जाती है. अगर आप आदिवासी संस्कृति को देखना चाहते हैं, तो इस मेले में जरूर जाइये. आदिवासी लोग अलग-अलग टोलियों में आते हैं, मेले में रंग बिरंगी पारंपरिक वेश-भूषा होती है.आदिवासियों की पारंपरिक वेशभूषा देख हर कोई उनकी तरफ खींचा चला जा रहा था. इस दौरान ढोलक की थाप पर भी आदिवासी जमकर थिरके वही भगोरिया मेले के दौरान लोगों ने जमकर खरीदारी की.
मेले में रिश्ते भी होते हैं तय
भगोरिया मेला दुनिया का पहला ऐसा मेला होगा. जहां मदमस्त अंदाज और संगीत की धुन पर थिरकते युवा अपने जीवनसाथी की तलाश में निकलते हैं, और अपने रिश्ते भी तय करते हैं. मेलें में आने वाले युवा एक दूसरे को वहीं पसंद कर गुलाल लगा कर अपने प्यार का इजहार करते हैं. उसके बाद साथी की सहमती और परिजनों की रजमांदी से रिश्ते को पुख्ता करने के लिए एक-दूसरे को पान खिलाते हैं. रंग-बिरंगे परिधानों में सजी युवतियां और भंवरों की तरह इनके आस-पास आदिवासी युवक वहां मौजूद युवतियों को रिझाने के लिए उनके आगे पीछे मंडराते हैं. भगोरिया मेले में ये दृश्य आम हैं.
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आदिवासी समाज के इछावर ब्लॉक अध्यक्ष मगनलाल बारेला ने बताया कि यह हमारी परंपरा है जो लंबे समय से चली आ रही है। जहां हमारे आदिवासी बारेला समाज के लोग रहते हैं वहां होली से पूर्व यह मेले आयोजित होते हैं। जिसमे रंग गुलाल खरीदा जाता है खरीदारी की जाती है और एक दूसरे को होली की बधाई दी जाती है.
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