छिंदवाड़ा: ‘पानी नहीं तो वोट नहीं’ के लगाए नारे, 40 गांवों के किसानों ने दी चुनावों के बहिष्कार की चेतावनी

पवन शर्मा

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Chhindwara News, Protest, Madhya Pradesh, Water Protest
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Chhindwara News: छिंदवाड़ा जिले में गर्मी के शुरुआत से पहले ही आमजन को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. स्थिति को देखते हुए लोगों को यह डर है कि अभी ये हाल है तो फिर भीषण गर्मी में क्या होगा. इसी के चलते जिले के अमरवाड़ा में किसानों ने सरकार को पानी मुद्दे पर घेरते हुए प्रदर्शन किया. किसानों ने प्रदर्शन करते हुए ‘पानी नहीं तो वोट नहीं’ के नारे लगाए. साथ ही आगामी चुनावों के बहिष्कार की चेतावनी दी.

अमरवाड़ा के बमोरी में कुछ महीनों पहले डैम निर्माण की स्वीकृति दी गई थी. अब तक डैम का निर्माण कार्य न होने पर 40 पंचायतों के किसानों ने मिलकर इसके विरोध में प्रदर्शन किया और तहसीलदार छवि पंत को ज्ञापन सौंपा. किसानों ने प्रदर्शन करते हुए शासन-प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द से जल्द डैम का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा, साथ ही आगामी विधानसभा चुनावों में समस्त 40 पंचायतों के किसान चुनाव का बहिष्कार करेंगे.

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राजनीतिक दांव-पेंच में फंसा निर्माण कार्य
ज्ञापन सौंपने आए एक किसान ने बताया कि अमरवाड़ा के 6 से 7 किलोमीटर करीब ग्राम बमोरी में बड़े जलाशय का निर्माण होना है, लेकिन शासन कार्य में लेट-लतीफी कर रही है. राजनीतिक दांव-पेंच में निर्माण कार्य फंसा हुआ है. इससे किसानों को दिक्कतों का सामना पड़ रहा है. किसान का कहना है कि छिंदवाड़ा के आस-पास सभी जगह पानी की व्यवस्था हो चुकी है, लेकिन अमरवाड़ा एकमात्रा ऐसा क्षेत्र है, जिसमें बूंद-बूंद पानी के लिए किसान तरस रहे हैं. इलाके में न पीने के लिए पानी है, न मवेशियों के लिए और न ही खेतों में सिंचाई के लिए पानी है.

पानी की किल्लत से जूझ रहे किसान
डैम निर्माण नहीं होने की वजह से किसान पानी की किल्लत का सामना कर रहे हैं. अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 50 से 60 गांव आते हैं जो कि पानी की परेशानी से जूझ रहे हैं. किसानों ने बताया कि डैम के न होने से घरों में पशुओं के लिए और फसलों के लिए पानी की बहुत गंभीर समस्या है. पानी की कमी की वजह से बच्चों की पढ़ाई समेत किसानों की जीवन शैली पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. किसानों का आरोप है कि जनप्रतिनिधियों और प्रशासन द्वारा हर बार सर्वे करवाकर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. किसानों का कहना है कि हमने ठान लिया है कि कार्य को पूरा करवाकर ही मानेंगे, नहीं तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.

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