इंदौर के फर्जी डिप्टी कलेक्टर की कहानी पूरी फिल्मी है..’ MPPSC की परीक्षा नहीं पास कर पाया तो..
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Indore Fake Deputy Collector: इंदौर क्राइम ब्रांच ने नकली डिप्टी कलेक्टर (SDM) बनकर लाखों रुपये की धोखाधड़ी करने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार किया है. फर्जी एसडीएम ने इंदौर में कई लोगों को नौकरी लगवाने के नाम पर अपने जाल में फंसाया और लाखाें रुपये ठगे हैं. आरोपी सचमुच का एसडीएम बनकर स्कॉर्पियो गाड़ी से घूमता था और उसमें लाल बत्ती भी लगाए था. नकली एसडीएम रौब जमाकर रंगदारी भी करता था. लेकिन कार में मानव अधिकार संगठन की नेम प्लेट लगा रखी थी.
आरोपी से जब इस संबंध में जानकारी मांगी जाती तो वह बताता था कि उसकी प्रोविजनल पर मानव अधिकार में पोस्टिंग की गई है. आरोपी होशंगाबाद का रहने वाला है और लंबे समय से इंदौर में किराए का मकान लेकर रह रहा था. पुलिस आरोपी फर्जी को गिरफ्तार कर अब अन्य जानकारी जुटा रही है.
क्राइम ब्रांच में एडिशनल एसीपी गुरु पाराशर ने बताया कि लॉकडाउन के समय फरियादी हिमांशु जैन की पहचान फर्जी एसडीएम मुकेश राजपूत निवासी होशंगाबाद से हुई थी. हिमांशु बंगाली चौराहे पर एक म्यूजिक का स्टूडियो चलाता था और फर्जी एसडीएम साहब वहां गाना रिकॉर्ड करवाने आए थे. दोनों की दोस्ती हुई और मुकेश ने हिमांशु से 1 दिन कहा कि किसी भी व्यक्ति को यदि नौकरी लगवाना हो तो तुम मुझसे संपर्क करना. हिमांशु फर्जी मुकेश के झांसे में आ गया और 4 लाख रुपये दे दिए.
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हिमांशु को ऐसे फंसाया जाल में
जब हिमांशु की नौकरी नहीं लगी तो वह मुकेश से रुपये मांगने लगा तो वह धमकी देता कि तुम्हारे खिलाफ में रिपोर्ट दर्ज करवा दूंगा. वहीं, डर के मारे मुकेश ने कई बार पुलिस के सामने कोई बात नहीं रखी, लेकिन जैसे ही उसने क्राइम रात में शिकायत दर्ज कराई क्राइम ब्रांच ने यह पाया कि अपने आप को एसडीएम बताने वाला मुकेश राजपूत एक फर्जी अधिकारी है. उसने कई अन्य लोगों से भी इसी तरह के धोखाधड़ी की है, जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट के समक्ष पेश कर उससे आगे की पूछताछ कर रही है.
ये है मुकेश के फर्जी एसडीएम बनने की कहानी…
मुकेश राजपूत ने कुछ वर्षों पहले पीएससी की तैयारी कर रहा था और प्री एग्जाम निकलने के बाद वह मेंस की एग्जाम नहीं दे पाया, जिस कारण वह एसडीएम बनते हुए रह गया. पिता किसान हैं और होशंगाबाद में ही खेती करते हैं. मुकेश कई बार सीहोर, भोपाल और इंदौर आया जाया करता था. परीक्षा में एसडीएम न बनने के बाद वह अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी पर ही मानव अधिकार की नंबर प्लेट लगाकर कई जगह घूमता रहता था. 2017 में सीहोर के थाने में मुकेश राजपूत खिलाफ इसी प्रकार की धोखाधड़ी का मामला दर्ज है.
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पुलिस को यह भी शक है कि ऐसे अन्य पीड़ित हो सकते हैं, जिन्हें मुकेश राजपूत ने इसी तरह का झांसा दिया होगा. पुलिस अब आरोपी के बैंक खाते हुए अन्य जानकारी जुटा रही है.
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