रानी रूपमती और बाज बहादुर के अमर प्रेम की निशानी है यह मकबरा! वेलेंटाइन डे पर पढ़िए ये खास किस्सा

पंकज शर्मा

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Valentine Day Special: वेलेंटाइन डे (Valentine Day) के दिन प्रेमियों के लिए को प्रेम का दिन होता है और हमारे देश में ताजमहल को प्रेम की सबसे अनूठी निशानी माना जाता है. लेकिन हम इस खास दिन आपको बताने जा रहे हैं मध्य प्रदेश के राजगढ़ के एक मकबरे की कहानी… जो आपको मालवा के सुल्तान बाज बहादुर और रानी रूपमती के अमर प्रेम कहानी की याद दिलाएगी है, याद दिलाएगी उस अमर किस्से की, जिसके सामने मोहब्बत का हर किस्सा फीका सा पड़ जाए. रानी रूपमती और और बाज बहादुर का यह मकबरा आज भी प्रेमियों को आकर्षित करता है. इनकी प्रेम कहानी जाति, धर्म और ऊंच नीच से कोसों दूर है, ये प्रेम की खातिर मर मिटने का जुनून पैदा करती है.

सारंगपुर के करीब तिंगजपुर में रानी रूपमती और बाज बहादुर का मकबरा बना हुआ है, जिसके पीछे प्रेम की अमर कहानी की गूंज सुनायी देती है…

बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी के चर्चे आज भी मशहूर हैं. बाज बहादुर रानी ने रूपमती को मांडू की मलिका बनाया. उसने रूपमती के लिए खूबसूरत महल का निर्माण करवाया. इतिहासकारों का कहना है कि बाज बहादुर और रानी रूपमती की जोड़ी ने 15वीं शताब्दी के समय संगीत के कई नए रागों को जन्म दिया. लेकिन उनकी यह कहानी लम्बे समय तक नहीं चल सकी. इस अमर प्रेम कहानी पर बादशाह अकबर की बुरी नजर पड़ गई.

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फोटो: पंकज शर्मा

रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेम कहानी
ये प्रेम कहानी आज से करीब 460 साल पहले शुरू हुई थी. एक किसान हिन्दू परिवार में जन्मी रूपमती के सौंदर्य और मधुर आवाज के चर्चे बचपन से ही शुरू हो गए थे. उन दिनों मालवा की राजधानी सारंगपुर हुआ करती थी. मालवा का सुल्तान था बाज बहादुर. वह योग्य शासक होने के साथ-साथ संगीत का विद्ववान और कला का पारखी था. माना जाता है कि एक बार बाजबहादुर का काफिला गुजर रहा था. उसी दौरान रूपमती की सुरीली आवाज सुल्तान के कानों में पड़ी और वह रूपमति पर मुग्ध हो गया. इसके बाद बाज बहादुर और रूपमती की प्रेम कहानी खूब परवान चढ़ी, बाजबहादुर रूपमती से शादी की और रानी बनाकर मांडू ले आया.

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फोटो: पंकज शर्मा

अकबर ने भेंट में मांगी रानी रूपमती
राजमहलों से होती हुई रूपमती के रूप की चर्चा बादशाह अकबर के कानों तक पहुंची. अकबर ने अपने सेनापति आदम खां को सारंगपुर भेजा. उसने बाजबहादुर से रूपमती को अकबर को भेंट करने की मांग की. बाजबहादुर के मना करने के बाद अकबर के इशारे पर आदमखां दोनों में युद्ध हुआ. कहा ये भी जाता है कि बाजबहादुर ने कहा कि वे अपनी रानी जोधा को भेजें तो वे रूपमती को देंगे. युद्ध में बाजबहादुर की हार हुई, बाद में गिरफ्तार कर लिया गया. आदमखां रूपमती को हासिल करने मांडू पहुंचा, लेकिन तब तक बाजबहादुर की हार की सूचना महल में पंहुच चुकी थी. रूपमती ने आदम खां के पहुंचने से पहले ही हीरा खाकर आत्महत्या कर ली.

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मरने के बाद भी हो गए अलग!
रानी रूपमती के शव को हाथी पर रखवाकर सारंगपुर लाया गया और कमल भरे तालाब में दफनाकर स्मारक बनवाया गया. बाज बहादुर को अकबर ने सारंगपुर भिजवाया, उसने कब्र पर सिर पटक-पटक कर अपनी जान दे दी. यहीं पर बाज बहादुर का भी स्मारक बना दिया गया. रानी रूपमती की कब्र पर शहीदे वफा और बाज बहादुर की कब्र पर आशिक के साजिद लिखा हुआ है, इसका मतलब यह प्रेम के लिए कुर्बान.

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