पन्ना के टाइगर रिजर्व को आबाद करने वाली बाघिन T-1 अब नहीं रही, पूरी दुनिया थी इसकी दीवानी!

दीपक शर्मा

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MP NEWS: पन्ना के टाइगर रिजर्व को फिर से आबाद करने वाली बाघिन टी-1 अब नहीं रही. वन कर्मियों को उसका शव जंगल में मिला. बाघिन टी-1 काफी बुजुर्ग हो चुकी थी और वह 17 साल की थी. वन कर्मियों को बाघिन टी-1 का शव पन्ना टाइगर रिजर्व के मनौर बीट में मिला. पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियाें ने बताया कि बाघिन टी-1 ने अपनी पूरी जिंदगी को जीया. वह अपनी उम्र पूरी कर चुकी थी. वन कर्मियों ने पूरे सम्मान के साथ बाघिन टी-1 का अंतिम संस्कार किया.

मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों का संसार फिर से आबाद करने का श्रेय बाघिन टी-1 को प्राप्त था. वर्ष 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व में टाइगर खत्म हो गए थे, जिसके बाद बाघिन टी-1 को अन्य टाइगर रिजर्व से लाकर पन्ना टाइगर रिजर्व में बसाया गया था. जिसके बाद उसने पन्ना में टाइगर के कई शावकों को जन्म दिया. जिसके बाद पन्ना टाइगर रिजर्व एक बार फिर से बाघों से आबाद हो गया था. बाघिन टी-1 को लेकर इंटरनेशनल लेवल पर कई फिल्में भी बनी और दुनियाभर में पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन टी-1 काफी फेमस हो गई थी.

इस फिल्म के जरिए दुनिया ने जाना बाघिन टी-1 को
बाघिन टी-1 पर ‘एमराल्ड जंगल, रिटर्न ऑफ द टाइगर्स’ नाम की अंतरराष्ट्रीय फिल्म बनी थी. इसे मुंबई के डायरेक्टर सोमेखी लेखी ने बनाया था. 80 मिनट की इस फिल्म का प्रदर्शन अमेरिका के लास एंजिल्स अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में वर्ष 2022 में किया गया था. बाघिन टी-1 पर बनी इस फिल्म के जरिए दुनिया ने बाघिन टी-1 के बारे में जाना. मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन टी-1 पर बनी इस फ़िल्म में बताने की कोशिश की गई कि पन्ना टाइगर रिजर्व में दोबारा बाघों का संसार कैसे आबाद हुआ ओर प्रबंधन को इसके लिए किन संघर्षों से जूझना पड़ा. इस फिल्म में बाघिन टी-1 ओर उनकी दोनों मादा संतान पी-151 व पी-141 और उनके शावकों को फिल्माया गया है. इसमें पन्ना टाइगर रिजर्व की रानी टी-1 और पन्ना टाइगर रिजर्व के खूबसूरत दृश्य भी कैद किये गए हैं. इस फिल्म को डायरेक्टर सोमेखी लेखी ने पूरे एक साल तक पन्ना टाइगर रिजर्व के अलग-अलग लोकेशन पर शूट करके तैयार किया था.

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अपनी उम्र पूरी कर ली थी बाघिन टी-1 ने
पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्यजीव चिकित्सक डॉ.संजीव गुप्ता ने बताया ‘ बाधिन टी-1 ने अपनी उम्र पूरी कर ली थी. अमूमन एक टाइगर अधिकतम 16 साल तक जीता है. बाघिन टी-1 तो 17 साल तक जीवित रही. पिछले कुछ समय से वह अस्वस्थ लग रही थी. उसके स्वास्थ्य पर हमारी नजर थी लेकिन वह अपनी उम्र के अब अंतिम पड़ाव पर आ गई थी. उसकी मौत स्वभाविक कारणों से हुई है. पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए वो एक स्टार थी और उसके गुजर जाने से यहां पर बाघों का एक अध्याय समाप्त हुआ है. हम सभी लोग उससे काफी अटैच थे.’

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