आशा कार्यकर्ता किसे भेज रही हैं खून से लिखी चिट्ठियां, क्यों कर रही हैं ये दर्दनाक काम?

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ASHA workers letters written in blood Shivraj government mp news
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MP News: विदिशा जिला मुख्यालय पर इन दिनों आशा कार्यकर्ता पिछले 1 माह से अधिक अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन पर बैठी है. अपनी वेतन को बड़वाने एवं अन्य मांगों को लेकर जारी धरना प्रदर्शन में आज स्वास्थ्य विभाग में जमीनी स्तर पर काम करने वाली आशा कार्यकर्ताओं ने अपने खून से लगभग 100 पोस्ट कार्ड लिखकर सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचने का यह अनूठा और दर्दनाक प्रयास किया है. आशा कार्यकर्ताओं की पीड़ा है की संवेदनहीन स्वास्थ्य विभाग ने उनकी अभी तक सुध नहीं ली है जबकि भीषण गर्मी के चलते हम लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

स्वास्थ्य विभाग में ग्रामीण क्षेत्रों और जमीनी स्तर पर काम करने वाली आशा कार्यकर्ता पिछले 1 माह और 2 दिन से अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी किए हुए हैं. वह अपनी 2 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. आज उन्होंने प्रदर्शन का अनूठा तरीका निकालते हुए प्रदर्शन स्थल पर अपनी उंगली से खून निकाल कर अपनी मांगों के संदर्भ में खून से सरकार के लिए लेटर प्रेषित किया है.

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अब तक स्वास्थ्य विभाग या प्रशासन की तरफ से कोई भी उनसे बात करने और सुध लेने नहीं आया. ऐसे में आशा कार्यकर्ताओं ने धरना स्थल पर खून से पोस्टकार्ड लिखकर सरकार को भेजने की पहल की है. इसके पहले भी वह पेन से लिखकर सैकड़ों की तादाद में कार्ड सरकार को भेज चुकी है, लेकिन अभी तक उनकी मांगे नहीं मानी गई है.

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सरकार को जगाने के लिए कर रहे हैं ये काम
संगठन की अध्यक्ष विनीता शर्मा और जिलापदाधिकारी रामसखी ने बताया कि करीब 100 पोस्टकार्ड सभी आशा कार्यकर्ताओं ने अपने खून से लिखे हैं ताकि सरकार जाग जाए. उनकी मांगों को पूरा कर सके प्रदर्शनकारी आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि आशा कार्यकर्ता के ₹10 हजार रुपए प्रतिमाह और सहयोगिनी के ₹15 हजार रुपए वेतन दिया जाए.

100 कार्ड खून से लिखकर भेज रहे हैं…
जिलाध्यक्ष विनीता शर्मा ने कहा- सरकार तक हमारी मांग खोज नहीं पा रही. इसलिए हमारी बहनों ने 100 कार्ड खून से लिख कर भेज रहे हैं. कम से कम अब तो सरकार हमारी सुध ले ले. जिला उपाध्यक्ष राम सखी वंशकार ने कहा- आशा कार्यकर्ताओं को ₹10000 और सहयोगिनी को ₹15000 प्रतिमाह दिया जाए अभी तक कोई भी हमारी सुध लेने नहीं आ रहा है. सरकार कहती है की आशा कार्यकर्ता हमारी रीड की हड्डी है नीव है जड़ है, लेकिन वास्तव में अगर हम नींव हेतु स्वास्थ्य विभाग से हमारी सुध लेने अभी तक कोई क्यों नहीं आया?

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