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146 साल पुरानी महू-ओंकारेश्वर मीटरगेज ट्रेन बंद, आखिरी सफर में रो पड़े यात्री

146 years old Mhow-Omkareshwar Meter Gauge Train: मध्य प्रदेश में 146 साल पहले होलकर स्टेट में शुरू हुई मीटरगेज लाइन (छोटी) ट्रेन ने आज अपना आखिरी सफर पूरा कर लिया. इस यात्रा के बाद अब यह ट्रेन अतीत का हिस्सा बनकर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई. सुबह 9.30 बजे ओंकारेश्वर रोड मोरटक्का से […]
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फोटो: एमपी तक.

146 years old Mhow-Omkareshwar Meter Gauge Train: मध्य प्रदेश में 146 साल पहले होलकर स्टेट में शुरू हुई मीटरगेज लाइन (छोटी) ट्रेन ने आज अपना आखिरी सफर पूरा कर लिया. इस यात्रा के बाद अब यह ट्रेन अतीत का हिस्सा बनकर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई. सुबह 9.30 बजे ओंकारेश्वर रोड मोरटक्का से निकली ट्रेन दोपहर 11.45 बजे डॉ. आंबेडकर नगर स्टेशन (महू) पहुंची. इस दौरान ट्रेन के आखिरी सफर के साक्षी बने कुछ यात्रियों के आंसू निकल आए.

146 साल पुरानी यह विरासत अब इतिहास बन गई, क्योंकि इस ट्रेन ने बुधवार को अपना आखिरी फेरा पूरा कर लिया है. और इसके साथ ही यह ट्रेन चलनी अब बंद हो गई. महू से ओंकारेश्वर रोड तक तक जाने वाली मीटरगेज लाइन को अब समाप्त कर दिया गया है. और इस रूट पर ब्रॉडगेज का निर्माण होगा. ट्रेन के आखिरी फेरे में बैठे यात्री काफी दुखी दिख रहे थे और कई यात्रियों के आंसू निकल आए.

होलकर स्टेट को था खास लगाव
दरअसल, इस रेल लाइन को अंग्रेजों ने होलकर स्टेट से एक करोड़ का रुपये का लोन लेकर 1877 में बिछाया था. इस रेलवे लाइन से होलकर स्टेट को भी काफी लगाव था. यह रेलवे लाइन घने जंगलों से निकलती है. और इसमे बैठने वाले यात्री यात्रा का खूब आनंद लिया करते थे. एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ खाई के बीच से जब ट्रेन गुजरती थी तो यात्री काफी रोमांच का अनुभव करते थे.

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टंट्या मामा को सलामी देते हुए चलती है ट्रेन
अंग्रेजों से लड़ने वाले टंट्या मामा भील का पातालपानी के यहां मंदिर है. टंट्या मामा को सलामी देने के लिए ट्रेन यहां कुछ मिनट रोक दी जाती है. कहा जाता है कि इसके बाद ही ट्रेन में सवार यात्री सही सलामत अपने गंतव्य तक पहुंच पाते हैं. टंट्या मामा के यहां आज भी गाड़ी रुकती है, लेकिन तकनीकी कारण ये है कि जब गाड़ी ढलान पर उतरती है तो गाड़ी के ब्रेक चेक किए जाते हैं. वैक्यूम प्रेशर चेक होता है, इसलिए सामान्यत: सुरक्षा की दृष्टि से गाड़ी को रोककर चेक किया जाता है.

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देरी की वजह से बढ़ती गई ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट की लागत
बताया जाता है कि 2007 में रेल मंत्रालय ने मीटरगेज लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने का निर्णय लिया. 2008 में खंडवा-इंदौर लाइन परिवर्तन प्रोजेक्ट का बजट 1400 करोड़ रुपए था, लेकिन 2017 में सनावद से महू परिवर्तन की लागत 2470 करोड़ रुपए हो गई. करीब 1500 करोड़ अधिक का भार आया. वहीं, प्रोजेक्ट की लागत करीब 4 हजार करोड़ रुपए हो गई है. मार्च 2022 में प्रधानमंत्री की पहल पर रेल मंत्री ने 888 करोड़ रुपए स्वीकृत किए। परियोजना में महू से सनावद 52 किलोमीटर व खंडवा से अकोट 121 किलोमीटर परिवर्तन शेष है. मात्र 173 किलोमीटर ब्रॉडगेज करने से 1668 किलोमीटर की दिल्ली-हैदराबाद लाइन पूरी हो जाएगी.

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