MP Budget Session 2023-24: मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन की शुरुआत हंगामे से हुई. पूर्व मंत्री जीतू पटवारी के बजट सत्र से निलंबन के विरोध में कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई है. शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायकों ने हंगामा कर दिया. विपक्ष ने आसंदी को घेरकर नारेबाजी शुरू कर दी. हंगामे के बीच अध्यक्ष ने विधानसभा की कार्रवाई 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी हैं. कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में कोई चर्चा भी नहीं हुई.
वहीं अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस ने संकल्प पत्र जारी किया है, जिसकी एक कॉपी विधानसभा प्रमुख सचिव को भेजी है. लेकिन संकल्प पत्र को लेकर संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि जीतू पटवारी अकेले पड़ गए हैं. कांग्रेस के जितने विधायक हैं, उनमें से संकल्प पत्र पर आधे के हस्ताक्षर हैं. कांग्रेस के 95 विधायक हैं लेकिन 48 ने ही हस्ताक्षर किए हैं.
नरोत्तम मिश्रा ने कहा- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ के ही हस्ताक्षर नहीं हैं. इसे देखकर शोले फ़िल्म याद आ गयी, जिसमे डायलॉग था आधे इधर जाओ, आधे उधर जाओ और बाकी मेरे पीछे आओ.. इससे पहले शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायकों ने हंगामा कर दिया. विपक्ष ने आसंदी को घेरकर नारेबाजी शुरू कर दी. अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास की मांग करते हुए जमकर नारेबाजी की गई.
नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ अवमानना का प्रस्ताव
संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई. इसके बाद सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है. इसके साथ ही प्रश्नकाल स्थगित कर दिया गया है. नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह का कहना है कि हमने सदन में विधानसभा अध्यक्ष के प्रति अविश्वास का प्रस्ताव और संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ अवमानना का प्रस्ताव दिया है.
कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष पर लगाया दबाव में काम करने का आरोप
मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का कारण बताते हुए कांग्रेस ने लिखा है- ‘आसंदी निष्पक्ष कार्यवाही का संचालन ना करते हुए सत्ता पक्ष के दबाव में कार्यवाही कर रहे हैं. 2 मार्च को माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के सहयोग और उनके भ्रष्टाचार तथा फिजूल खर्चे की बात को सदन में नहीं आने की मंशा स्वरूप अध्यक्ष ने कांग्रेस पक्ष के वरिष्ठ विधायक जीतू पटवारी को बिना किसी वैध कारण के तानाशाही पूर्ण तरीके से पूरे सत्र के लिए निलंबन कर दिया.’
‘अध्यक्ष सत्ता पक्ष के दबाव में बजट सत्र को समाप्त करने की भूमिका बना रहे हैं. पिछले बजट सत्र में भी अनुदान मांगों को गुलेटिन समय से पहले समाप्त कर दिया गया था. मांगों के गुलेटिन करने की इस विधानसभा की परंपरा नहीं रही है, लेकिन छोटे सत्र बुलाने की सत्ता पक्ष की कोशिश पर रोक नहीं लगाना और छोटे सत्रों को भी पूरा नहीं होने देने में अध्यक्ष सत्ता पक्ष का साथ दे रहे हैं. ताकि सत्ता पक्ष के भ्रष्टाचार और कर्ज को लेकर फिजूल खर्चे जनता के सामने ना आ सके इस प्रकार अध्यक्ष प्रतिपक्ष के सदस्यों के हितों के विपरीत काम कर रहे हैं.’
अलाेकतांत्रिक संसदीय कार्य करके अध्यक्ष पद पर बने रहने का अधिकार खोया: कांग्रेस
कांग्रेस ने आगे लिखा- ‘आज कांग्रेस सदस्य के विरुद्ध की गई कार्यवाही में भी सत्ता पक्ष की सोची-समझी रणनीति में अध्यक्ष ने साथ दिया है. इस प्रकार से प्रतिपक्ष को कुचलना चाहते हैं. इसके अलावा विधानसभा प्रश्नों को मनमाने तरीके से आगाह्य किया जा रहा है और महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर विगत कई सत्रों से नहीं आ रहे हैं. शासन की तरफ से जवाब दिया जाता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है इस और कई बार अध्यक्ष का ध्यान आकर्षित कराए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. संविधान की अपेक्षा के अनुरूप अध्यक्ष को दलगत भावना से ऊपर उठकर सदन की कार्यवाही का संचालन किया जाना चाहिए, किंतु अध्यक्ष सत्ता पक्ष के दबाव में एक पक्षीय कार्यवाही लगातार कर रहे हैं. अलोकतांत्रिक संसदीय कार्य करके उन्होंने अध्यक्ष के पद पर बने रहने का अधिकार खो दिया है. संकल्प पर आज ही अविलंब चर्चा कराने का कष्ट करें.
ये भी पढ़ें: जीतू पटवारी बजट सत्र से निलंबित, कांग्रेस विधायकों का विधानसभा में जमकर हंगामा; कमलनाथ ने कहा- ये गलत