MP Political News: 1996 में जिस दिलीप सिंह भूरिया कमेटी की अनुशंसा पर पेसा कानून बनाया गया था, उसी को मध्यप्रदेश सरकार ने 26 साल बाद मध्यप्रदेश में बीते 15 नवंबर 2022 को लागू भी कर दिया.. लेकिन अब स्व दिलीप सिंह भूरिया के गृह जिले झाबुआ से ही कांग्रेस ने इस पेसा एक्ट का यह कहते हुए विरोध शुरू कर दिया है कि यह विसंगतियों से भरा हुआ है. असली पेसा एक्ट नहीं है तथा यह स्थानीय तड़वी-पटेलों ओर सरपंचों के अधिकारों और सम्मान का हनन करने वाला है. कांग्रेस ने जो बीते हफ्ते जनाक्रोश रैली के मंच से पैसा एक्ट को विसंगति पूर्ण बताया.
कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी नेता ओर पूर्व केंद्रीय जनजाति मंत्री कांतिलाल भूरिया ही विरोध की अगुवाई कर रहे हैं. भूरिया कहते हैं कि मौजूदा पैसा एक्ट गड़बड़ है मूल कानून के प्रावधानों में छेड़छाड़ कर इसे विसंगतिपूर्ण बनाया गया है. हमारे आदिवासी समुदाय के तडवी-पटेलों ओर सरपंचों के अधिकारों और सम्मान का यह मौजूदा कानून हनन करता है. इसलिए हमारा विरोध है. मीडिया को दिए अपने वीडियो बयान में डाक्टर विक्रांत भूरिया ने तो मौजूदा पैसा एक्ट को फर्जी शब्द इस्तेमाल कर गलत करार दिया.
बीजेपी का पलटवार- अब सीएम संभालेंगे कमान
हालांकि बीजेपी जिलाध्यक्ष भानु भूरिया ने कांग्रेस ओर कांतिलाल भूरिया के खिलाफ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि वे तडवी-सरपंचों को गुमराह कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी के अन्य नेता अभी मुखर नहीं है खुद स्व दिलीप सिंह भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया तक कांतिलाल भूरिया का इस मसले पर काउंटर करने में नजर नहीं आई हैं. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इस मामले में कमान संभाल सकते हैं. जनवरी के अंतिम सप्ताह में उनका रतलाम संसदीय क्षेत्र की जिलों में दौरा हो सकता है जिसके केंद्र में पेसा एक्ट होगा.
अब जरा सियासी गणित भी समझें
मध्यप्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं इसमें से 47 सीटें आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित है लेकिन 22 प्रतिशत आदिवासी आबादी 89 विकासखंडों में फैली 80 विधानसभा सीटों पर असर डालती है. 2018 विधानसभा चुनाव में 47 में से 30 सीटें कांग्रेस के खाते में चली गयी थीं. और उस समय कुछ आदिवासी दबाव समूह बीजेपी पर आदिवासी समुदाय के लिए संविधान में प्रदत्त अधिकारों से वंचित करने का आरोप मढ़कर बीजेपी विरोधी वातावरण बनाने मे कामयाब रहे थे. इसलिए 2023 के विधानसभा चुनाव के एक साल पहले बीजेपी की शिवराजसिंह चौहान सरकार ने मौजूदा पैसा एक्ट को लागू कर दिया. अब बीजेपी को उम्मीद है कि इस पैसा एक्ट के चलते 2023 में वह अधिकतर आदिवासी सीटे जीतकर सत्ता में वापसी करेंगी.
रिपोर्ट- चंद्रभान सिंह भदौरिया