7वे अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में राष्ट्रपति ने दिया बुद्ध और पतंजलि का उदाहण, कहीं ये अहम बातें
International Dharma-Dhamma Conference: 7वे अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का आयोजन भोपाल में किया जा रहा है. इसका शुभारंभ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया. इस दौरान राष्ट्रपति ने अपने विचार भी रखे. इस मौके पर मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर और सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. […]

International Dharma-Dhamma Conference: 7वे अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का आयोजन भोपाल में किया जा रहा है. इसका शुभारंभ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया. इस दौरान राष्ट्रपति ने अपने विचार भी रखे. इस मौके पर मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर और सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता भी मौजूद रहीं.
तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन 5 मार्च तक चलेगा, जिसमें 15 देशों के 350 से ज्यादा विद्वान और पांच देशों के संस्कृति मंत्री शामिल हो रहे हैं. इस दिवसीय सम्मेलन में ‘नए युग में मानववाद’ के सिद्धांत पर चर्चा की जाएगी. आज सम्मेलन के शुभारंभ के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने भी इस विषय पर अपने विचार रखे. राष्ट्रपति से पहले सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता, श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने भी वक्तव्य दिया.
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बुद्ध, नानक और पतंजलि का दिया उदारहण
राष्ट्रपति ने अपने उदबोधन के दौरान कहा कि महर्षि पतंजलि, गुरु नानक और भगवान बुद्ध ने दुख से निकलने के मार्ग सुझाए हैं. मानवता के दुख के कारण का बोध करना और उस दुख को दूर करने का मार्ग दिखाना पूर्व के मानववाद की विशेषता है. उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की पद्धति स्थापित की. भगवान बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग प्रदर्शित किया. राष्ट्रपति ने कहा गुरु नानक देव जी ने नाम सिमरन का रास्ता सुझाया, जिसके लिए कहा जाता है- नानक नाम जहाज है, चढ़े सो उतरे पार.

धर्म का जहाज डूबता नहीं- राष्ट्रपति
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में कहा, धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, लेकिन डूबता नहीं है. धर्म-धम्म की अवधारणा भारत चेतना का मूल स्तर रही है. हमारी परंपरा में कहा गया है- धारयति- इति धर्मः, अर्थात जो सब को धारण करता है, वही धर्म है. राष्ट्रपति ने कहा कि धर्म की आधारशिला मानवता पर टिकी है. राग और द्वेष से मुक्त होकर, अहिंसा की भावना से व्यक्ति और समाज निर्माण करना पूर्व के मानववाद का प्रमुख संदेश रहा है. नैतिकता पर आधारित व्यक्तिगत आचरण और समाज पूर्व के मानववाद का व्यवहारिक रूप है. राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी नैतिकता को बचाए रखना हर व्यक्ति का कर्तव्य है.
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15 देशों के विद्वान शामिल
3 दिनों तक चलने वाले इस अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में भूटान, मंगोलिया, वियतनाम, नेपाल, दक्षिण कोरिया, मॉरिशस, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाइलैंड, रूस, स्पेन, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे 15 देशों के विद्वान भाग ले रहे हैं. इसमें 5 देशों के संस्कृति मंत्री भी शामिल हुए. कार्यक्रम भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित किया गया है.