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कान्हा टाइगर रिजर्व: घायल बाघिन का रेस्क्यू, गले में फंसे क्लच वायर से हो गया गहरा घाव

Kanha Tiger Reserve: कान्हा टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने एक बाघिन का रेस्क्यू कर उसका इलाज किया है. बाघिन के गले में क्लच वायर का फंदा लगने के कारण गहरा घाव हो गया था. बाघिन को घायल अवस्था में करीब एक माह पूर्व देखा गया था. इसे पकड़कर इसका उपचार करने में पार्क प्रबंधन को एक […]
Kanha Tiger Reserve: Rescue of injured tigress, medicine applied by cutting clutch wire stuck in throat

Kanha Tiger Reserve: कान्हा टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने एक बाघिन का रेस्क्यू कर उसका इलाज किया है. बाघिन के गले में क्लच वायर का फंदा लगने के कारण गहरा घाव हो गया था. बाघिन को घायल अवस्था में करीब एक माह पूर्व देखा गया था. इसे पकड़कर इसका उपचार करने में पार्क प्रबंधन को एक महीने लग गए. बाघिन को पकड़ने परिक्षेत्र भैसानघाट, मुक्की एवं गढ़ी के वनक्षेत्रों में लगातार कोशिश की गई.

रेस्क्यू ऑपरेशन के लिये तीन विभागीय हाथी एवं 50-60 व्यक्तियों का दल लगाया गया. बाघिन के लगातार चलायमान होने से उसकी निश्चित उपस्थिति नहीं मिल पा रही थी. लगभग 5000 हेक्ट. क्षेत्र में वह घूम रही थी. तमाम कोशिशों के बावजूद जब बाघिन हाथ नहीं लगी तो उसे पकड़ने के लिए बीट पांगापानी में पिंजरा लगाया गया. बाघिन के पिंजरे में फंसने के बाद उसे बेहोश कर उसके गले में फसा तार का फंदा काटा गया एवं गले के घाव को सफाई कर दवाई लगाई गयी.

बाघिन को आगे भी उपचार की जरूरत को देखते हुए उसे मुक्की रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट किया गया है. इसे घाव के ठीक होने तक मुक्की रेस्क्यू सेंटर में ही रखा जायेगा.

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6 जनवरी को एक बाघिन का शिकार हुआ है…
कान्हा टाइगर रिज़र्व संचालक एसके सिंह बता रहे है कि जनवरी माह में वन्य प्राणी गणना का काम चल रहा था. उस दौरान 6 जनवरी को एक टाइग्रेस ने शिकार किया हुआ था. वहां पर हमने कैमरा लगाया हुआ था. उसमें हमें उसके गले में फंदे की आशंका और गले में चोट के कुछ निशान देखे थे. हम लगातार प्रयास कर रहे थे कि उसको पकड़ कर उपचार दे सके. उसको पकड़ने लंबी कोशिश चल रही थी, क्योंकि बड़े क्षेत्र में उसका आवागमन था. इसलिए हम उसको नहीं पकड़ पा रहे थे. अभी फरवरी महीने में फिर हमने पिंजरा लगाकर कोशिश तो वह पिंजरे में आ गई.

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क्लच वायर का फंदा लगा हुआ था
जब उसको निरीक्षण किया तो उसके गले में क्लच वायर का फंदा लगा हुआ था. जिसके कारण से उसके गर्दन में काफी घाव हो गए थे. रेस्क्यू पर उसके फंदे को काटा गया और उसके घाव का इलाज कर और मुक्की सेंटर में रखा गया. जिसमें आगे भी उसके इलाज का काम होगा. उसके बाद उसके उम्र की देखते हुए उचित निर्णय लेने के लिए प्रस्ताव प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन प्राणी को प्रस्ताव भेजा जाएगा. इस इलाके में बाघ की पोचिंग ऐसे तो नहीं होती है, लेकिन हां, सूअर और दूसरे जीव जो खेतों में जाते हैं. गांव वालों में कभी-कभी यह प्रवृत्ति होती है कि वह उनको रोकने के लिए खेतों में फंदे लगा देते है. संभवतः यह बाघिन भी वहां गई होगी और फंदे में फंस गई होगी.

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