MP Politics: मध्य प्रदेश में नई शराब नीति को लेकर सियासत शुरू हो गई है, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में मध्य प्रदेश को मदिरा प्रदेश कहकर नया हंगामा खड़ा कर दिया है. अपने बयान मदिरा प्रदेश पर अब कमलनाथ का नया बयान सामने आया है. भोपाल में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हम एमपी की बात करते थे, लेकिन अब लोग कहते हैं मदिरा प्रदेश. यह उमा भारती कह रही हैं…शिवराज जी घर घर मे शराब ला रहे हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री से जब कुमार विश्वास के विवादित बयान को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा- कुमार विश्वास और उनके विरोध करने वालों के बीच मुझे क्या करना है. बता दें कि कुमार विश्वास ने आरएसएस को अनपढ़ और वामपंथियों को कुपढ़ कह डाला था, जिस पर बाद में उन्होंने सफाई दी थी. पत्रकारों ने जब कमलनाथ से छिंदवाड़ा में सीएम बनाने की शपथ दिलाने के संबंध में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा में यह तो होगा, जिन्होंने मुझे 43 साल वोट दिया है. इसमें कौन सी खराब बात है.
विकास यात्रा मतलब जनता को गुमराह करना है. विकास यात्रा का हर जगह विरोध हो रहा है. अंत में शिवराज जी की पोल खुल गई है. पूर्व मुख्यमंत्री ने रायपुर अधिवेशन पर कहा- कांग्रेस के लोगों को मिलकर बातचीत करना जरूरी है. देश भर के लोग आ रहे है. वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर कहा- समाजिक न्याय का प्रश्न है उसे प्राथमिकता देना है. देश की नींव इसी पर टिकी है.
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छिंदवाड़ा में बोला था शिवराज पर हमला
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में शिवराज सिंह चौहान की हाल ही में जारी की गई आबकारी नीति पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था एक समय में जब हमसे पूछा जाता था कि आप कहां से हैं, हम कहते थे हम एमपी से हैं. लोग समझ जाते थे कि एमपी मतलब मध्य प्रदेश परंतु आज शिवराज सरकार में एमपी का अर्थ मदिरा प्रदेश हो गया है.
नरोत्तम मिश्रा ने कसा तंज- ‘न खाता न बही, जो कमलनाथ कहें वहीं सही’
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पूर्व CM कमलनाथ पर तंज कसा है. छिंदवाड़ा में कांग्रेसियों के कसम खाने वाले वीडियो पर गृहमंत्री मिश्रा ने कहा- ‘न खाता न बही, जो कमलनाथ कहें वहीं सही’… गृहमंत्री ने कहा कि कमलनाथ ने लोकतंत्र का ही कबाड़ा कर दिया. गृहमंत्री डॉ. मिश्रा ने गुरुवार को कहा कि पिता-पुत्र को मुख्यमंत्री-सांसद बनाने के लिए कांग्रेसियों का कसम खाने वाला वीडियो मैंने देखा. एक उद्योगपति सेठजी कांग्रेस के अध्यक्ष क्या बने, लोकतंत्र का ही कबाड़ा हो गया. न संसदीय दल बोर्ड की अहमियत है और न ही विधायक दल की बैठक की कोई अहमियत है. न खाता न बही, जो कमलनाथ कहें वहीं सही.
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