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MP में सत्ता की चाबी हैं 47 आदिवासी सीटें! वोटर्स को लुभाने के लिए क्या है बीजेपी और कांग्रेस का प्लान?

MP Tak Special: मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव साल के आखिर में होने हैं, लेकिन उसकी पूरी योजना अभी से तैयार की जा रही है. मध्य प्रदेश का चुनाव इसलिए अहम है क्योंकि उसके कुछ महीने बाद यानि मई 2024 में देश में आम चुनाव भी होने हैं और एमपी में किसी भी […]
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MP Tak Special: मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव साल के आखिर में होने हैं, लेकिन उसकी पूरी योजना अभी से तैयार की जा रही है. मध्य प्रदेश का चुनाव इसलिए अहम है क्योंकि उसके कुछ महीने बाद यानि मई 2024 में देश में आम चुनाव भी होने हैं और एमपी में किसी भी पार्टी की जीत 2024 की राह आसान बना देगी. राज्य में सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस समेत सभी दलों की नजर 21 फीसदी की आबादी वाले आदिवासी वोटर्स पर है, क्योंकि यहां सत्ता की चाबी इन्हीं के पास है. 230 सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में 80 सीटें आदिवासियों के प्रभाव वाली हैं यानि इन सीटों पर आदिवासी जिसे चाह लें, उसे जिता दें. इनमें से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए ही रिजर्व हैं.

ऐसे में स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश की सियासत आदिवासियों के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है. बीजेपी कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दे रही है कि वो आदिवासियों के बीच जाकर पार्टी की बात रखें. वहीं पीसीसी चीफ कमलनाथ ने आदिवासी नेताओं और विधायकों को ट्राइबल बेल्ट का दौरा करने और आदिवासियों के साथ संवाद स्थापित करने के निर्देश दे दिए हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस ने अगले 6 महीने के लिए ‘प्लान ऑफ एक्शन’ भी तैयार कर लिया है. इसके तहत पार्टी लगातार इन सीटों पर मेहनत मशक्कत करेगी. कांग्रेस सभी प्रमुख आदिवासी संगठनों को पार्टी के साथ जोड़ने के प्लान पर काम कर रही है. ताकि भाजपा से वो अपना पुराना वोट बैंक वापस खींच सके. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 47 में से 30 आदिवासी सीटों पर जीत मिली थी. 

दोनों दलों की तैयारी और रणनीति
आदिवासियों को साधने के लिए बीजेपी और कांग्रेस की अपनी-अपनी तैयारी है. मांडू में हुए प्रशिक्षण वर्ग में बीजेपी ने आदिवासी वर्ग के लिए खास रणनीति तैयार की है. भाजपा सरकार पिछले एक साल से आदिवासियों पर केंद्रित योजनाओं पर तेजी से काम कर रही है. इस सिलसिले में पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह भी भोपाल दौरे पर आ चुके हैं. इस दौरान देश के शीर्ष नेता मंच से आदिवासियों को ढेरों सौगातें देते नजर आ चुके हैं. पीएम मोदी ने आदिवासी दिवस पर भोपाल के जंबूरी मैदान में आदिवासियों का सम्मेलन कर चुके हैं, जिसमें करीब एक लाख आदिवासियों ने भाग लिया था.

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80 सीटों पर आदिवासियों का प्रभाव
2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के वोटों के कारण ही कांग्रेस सत्ता हासिल कर पाई थी. कांग्रेस को 47 में से 30 सीटें मिली थीं. प्रदेश में आदिवासियों की बड़ी आबादी होने से 230 विधानसभा में से 80 सीटों पर उनका सीधा प्रभाव है. प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से भाजपा ने 31 सीटें जीती थीं. कांग्रेस के खाते में 15 सीट आयी थीं. लेकिन 2018 के चुनाव में सीन एकदम उल्टा हो गया. आरक्षित 47 सीटों में से भाजपा सिर्फ 16 पर ही जीत दर्ज कर सकी. कांग्रेस ने 30 सीटें जीत ली थीं. भाजपा सत्ता से बाहर हो गयी थी. बहरहाल देखना होगा कि 2023 के विधानसभा चुनाव और उसके बाद आम चुनाव में आदिवासी समाज किस दल को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाता है.

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पेसा एक्ट को लेकर भी मचा है बवाल
MP में आदिवासियों को रिझाने के लिए शिवराज सरकार पेसा एक्ट लेकर आई है, इस कानून के जरिए BJP आदिवासी वोटरो में अपनी पैठ बनाने की जुगत में लगी है. लेकिन कांग्रेस इस कानून को नकली बता रही है और इसका पुरजोर विरोध कर रही है. कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया कहते हैं कि इस कानून में आदिवासियों के लिए वो शक्तियां नहीं है. जिसके वो हकदार हैं. इसलिए कानून में बदलाव किया जाए. कांतिलाल भूरिया इसे लेकर झाबुआ में विरोध प्रदर्शन और धरना दे चुके हैं.

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आदिवासी वोट भाजपा इनकैश करने की कोशिश में है
मध्य प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह कहते हैं- “आदिवासी वोटर्स को इन्होंने अपने पक्ष में करने की कोशिश की है. यहीं पर नहीं, ये पूरे देश में दिखता है. एक समय देश में जब दलित उभार हुआ था, लेकिन आदिवासियों पर तब बात नहीं होती थी. अब आदिवासियों की अस्मिता पर बात शुरू हो गई है. जब उनसे बात करते हैं तो वह नजर भी आता है. बीजेपी इसे इनकैश करने की कोशिश भी कर रही है. बीजेपी का जो स्रोत है आरएसएस, जिससे भाजपा गर्भनाल जुड़ा है. वह आदिवासियों को हिंदू धर्म का ही मानता रहा है. आदिवासी आज भी जल-जंगल-जमीन से ही जुड़ा हुआ है. ये अभी भी इन्हीं चीजों से जुड़े हैं. आदिवासियों में बेरोजगारी, अशिक्षा और संसाधन आदि पर बात करनी होगी, जिससे उनका जीवन सुधरे.”

आदिवासियों का वोट कांग्रेस को मिलेगा या नहीं, इस सवाल पर एनके सिंह ने कहा, ‘कांग्रेस ने एक थाली सजा ली है और उसे लग रहा है कि पकवान आकर इसमें गिर जाएं, वह कुछ करना नहीं चाहते हैं.’

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दोनों पार्टियों को चाहिए आदिवासियों का साथ, ये है वजह

  • आदिवासियों की मध्यप्रदेश में आबादी- दो करोड़
  • 43 आदिवासी समूह
  • भील-भिलाला- 60 लाख
  • गोंड समुदाय- 51 लाख
  • सहरिया, कोरकू- 47 लाख
  • कोल समाज- 12 लाख

एमपी में विधानसभा सीटों का गणित
मध्य प्रदेश विधानसभा- 230 सीटें
बीजेपी- 107 सीटें (भाजपा समर्थित-2 सीट)
कांग्रेस- 92 सीटें (कांग्रेस समर्थित 2 सीट)
बसपा- 2
सपा- 1

2018 में 47 आरक्षित सीटों की स्थिति
कांग्रेस को 30 सीटें
भाजपा को 16 सीटें
जोबट उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली.

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