जैन संत की इस तपस्या ने कर दिया हैरान, सिर्फ गर्म पानी पीकर गुजारे 171 दिन
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MP News: कोई बिना खाने और पानी की कितने दिन रह सकता है 10 दिन, 20 दिन, 30 दिन, लेकिन मध्यप्रदेश के बालाघाट में एक जैन साधु ने 171 दिन सिर्फ गर्म पानी पीकर अपने तप को पूरा किया है. जैन धर्मावलंबियों के आराध्य भगवान महावीर के उपवास के कई शताब्दी बाद अब एक बार फिर जैन संत विराग मुनि के उपवास ने नया इतिहास रच दिया है. 171 दिन बाद आखिरकार उन्होंने 5 जुलाई को (पारणा) उपवास को खत्म कर दिया. जिसके पहले उन्होंने सुबह प्रवचन और मंगलपाठ दिया. इस दौरान हजारों की संख्या में उनके भक्त उनको सुनने के लिए बेताब दिखाई दिये.
दरअसल विराग मुनि नाम के जैन संत गुजरात से पैदल चले थे, और महाराष्ट्र के चंद्रपुर में 15 जनवरी 2023 को इन्होंने निराहार व्रत की शुरुआत की थी. जनकल्याण के उद्देश्य से शुरू किए इस व्रत में वे सिर्फ पानी का इस्तेमाल करते थे. उन्होंने महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की यात्रा को पैदल ही तय किया है.
अविग्रह को लेकर रखा उपवास
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विराग मुनि ने 171 दिन पहले तीन अविग्रह लेकर उपवास की शुरूआत की थी. बताया जाता है कि उन्होंने शुरूआत में पानी तक नहीं लिया था, लेकिन कुछ दिनों में एक-दो बार ही पानी ही उनका एकमात्र भोजन था. जिसके सहारे उन्होंने इतने लंबे समय की तपस्या पूरी की है. दरअसल जैन धर्म की साधना में अभिग्रह का बड़ा महत्व है. उपवास तोड़ने के लिए कई बार अभिग्रह लिए जाते हैं. यह अविग्रह द्रव्य,क्षेत्र, काल और बाहु के संबंध में होते हैं. अविग्रह पालने वाल व्यकति मन में जो संकल्प लेता है उसके पूरा होने पर ही उपवास तोड़ता है.
चातुर्मास के लिए हजारों KM पैदल चलकर पहुंचे बालाघाट
जैन संत विराट मुनि न तो गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं, और न ही वाहन का इस्तेमाल करते है. ऐसे में एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए बिहार का एक ही जरिया होता है. पैदल चलना और इतनी बड़ी तपस्या के साथ ही संत पैदल चलते हुए करीब 1 सप्ताह पहले मध्यप्रदेश के बालाघाट पहुंचे जहां उनका चतुर्मास होना है.
WHO को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
जैन परंपरा के अनुसार संत विराग मुनि से पहले महावीर स्वामी ने 179 निराहार उपवास किये थे. आज के समय में संत के इतने लंबे उपवास पर लोगों को शायद विश्वास न हो इसी बात का परीक्षण करने के लिए गुजरात के बड़ोदरा से 1 चिकित्सकों के पैनल भी बालाघाट पहुंचा. जहां उन्होंने 171 उपवास पर संत का स्वास्थ्य परीक्षण किया. जिसकी रिपोर्ट डब्ल्यूएचओ को सौंपी जाएगी. वहीं दावा किया जा रहा है कि महावीर स्वामी के बाद विराग मुनि ने ही इतनी लंबी तपस्या की है.
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कौन है विराग मुनि
पाली के निवासी तपस्वी विराग मुनि का नाम वैराग्य से पहले मनोज पुत्र गाैतमजी डाकलिया था. इन्होंने 22 अप्रैल, 2013 को पत्नी मोनिका डाकलिया, पुत्री खुशी डाकलिया और पुत्र भव्य डाकलिया के साथ संत विनय कुशल मुनि से दीक्षा ग्रहण की थी. अब उनकी पत्नी का नाम वीरती यशाश्री, बेटी का नाम विनम्र यशाश्री और बेटे का नाम भव्य मुनिश्री है.
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उपवास के दौरान भी दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं
उपवास के बाद भी विराग मुनि की दिनचर्या आम दिनों जैसी ही थी. वे सुबह 4.30 बजे से प्रतिक्रमण, पडिलेहन, वंदन विधि, देवदर्शन, देववंदन करते थे. इसके बाद 6.45 से 7.45 बजे तक स्वाध्याय करते थे. सुबह 7.45 बजे गोचरी के लिए निकलते थे. फिर 8.45 बजे से 10 बजे तक प्रवचन करते हैं. अपने गुरु के लिए गाेचरी लेने भी जाते है.
इनपुट- बालाघाट से अतुल वैद्य
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