Narsingpur Positive Story: मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले का गुड़ अपनी अलग मिठास और शुद्धता के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी अलग पहचान रखता है. फ्रांस से आई एक युवती और तत्कालीन जिला अधिकारी के प्यार से शुरू हुआ गुड का यह कारोबार और आज करोड़ों में पहुंच गया है. नरसिंहपुर में ऑर्गेनिक फार्मिंग के जरिए बनाए जा रहे इस देशी गुड की डिमांड विदेशों से भी आ रही है. किसान भी अब जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं. प्रशासन ने सरकार की योजना ‘एक जिला एक उत्पाद’ में यहां के देशी गुड़ को शामिल किया गया है.
नरसिहपुर में गन्ने की फसल के इतिहास के इतिहास के बारे में जिले के गन्ना विकास अधिकारी डॉक्टर अभिषेक दुबे बताते हैं कि 1822 में विलियम हेनरी स्लीमन एक्साइज ऑफिसर थे. उस समय भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था, पहले यहां से मजदूरों को विदेश ले जाकर गन्ने की खेती कराते थे, लेकिन फिर अंग्रेजों ने सोचा कि मजदूरों को वहां ना ले जाकर यही अच्छी वैरायटी का गन्ना लाकर खेती की जाए और उससे बने प्रोडक्ट वहां ले जाएं जाएं, ज्यादा आसानी होगी.
ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी नरसिंहपुर को गन्ने की खेती के लिए चुना
ईस्ट इंडिया कंपनी की इस योजना के तहत एक अंग्रेजी युवती एमालिया जोसेफन को गन्ने की नई वैरायटी के बीज के साथ नरसिंहपुर भेजा गया. एमालिया ने अपना कामकाज शुरू किया और एक्साइज अफसर स्लीमन को दिल दे बैठी. दोनों एक-दूसरे के नजदीक आए और दोनो के बीच प्यार हो गया, बाद में दोनों ने शादी कर ली दोनों का परिवार फला-फूला. इसके साथ ही नरसिंहपुर जिले में जैविक गन्ने की फसल भी लहलहाने लगी. आज नरसिंहपुर मध्य प्रदेश का सबसे ज्यादा गन्ना पैदा करने वाला जिला बन गया है, जिसकी खुशबू और मिठास देश के साथ ही विदेशों में भी फैल रही है.
ये भी पढ़ें: सीएम शिवराज ने G-20 सम्मेलन में कहा- ऑर्गेनिक फार्मिंग में MP नंबर वन, 30 देशों के डेलीगेट्स पहुंचे
नरसिंहपुर में 8 शुगर मिल, 65 हजार हेक्टेयर में होती है गन्ने की खेती
नरसिंहपुर जिले में गन्ना उत्पादन का कारोबार संपूर्ण जिले में फैल गया है. यहां करीब 8 शुगर मिल हैं और अनेक खांडसारी मिल स्थापित हो गई हैं, जिनमें शक्कर बनती है. गुड़ भट्टियो से भी बड़ी मात्रा में बनाया जा रहा है, गन्ना जिले की प्रमुख फसल है. और जिले में 65 हजार हेक्टर में गन्ना की खेती होती है. यहां की उपजाऊ मिट्टी और नर्मदा जल के कारण शुद्ध वातावरण रहता है, जिससे इसकी मिठास और स्वाद में इजाफा होता है.
गन्ना विकास अधिकारी अभिषेक दुबे ने बताया नरसिंहपुर जिले की गन्ना प्रमुख फसल है. जिले में 65 हजार हेक्टर में गन्ना की खेती होती है. यहां की उपजाऊ मिट्टी और नर्मदा जल के कारण शुद्ध वातावरण रहता है, जिसके कारण यहां के गुड़ के देशी स्वाद के दीवाने बढ़ते जा रहे हैं.
ये भी पढ़ें: छतरपुर: वीवीएस लक्ष्मण के एक ट्वीट से बदली किसान की तकदीर, मदद को आगे आया प्रशासन
अब शुरू हुआ देशी शक्कर बनाने का काम
करेली के नजदीक ग्राम बटेसरा के रहने वाले रविशंकर रजक के पास 12 एकड़ जमीन है. वह पूर्ण रूप से जैविक खेती करते हैं. देसी कड़ाई से गुड़ बनाने का काम 2013 से कर रहे है. रविशंकर बताते है कि इसमें किसी भी प्रकार का खाद और फर्टिलाइजर यूज नहीं किया जाता है. एक जिला एक उत्पाद में गुड़ को शामिल किया गया है. पूरे देश सहित विदेशों में भी गुड विक्रय किया जा रहा है. आत्मनिर्भर भारत में घर के सामान से ही खेती में लगाएंगे तो लागत कम होगी और मूल्य अच्छा मिलेगा. इस गुड़ के खाने से स्वास्थ्य पर विपरीत असर नहीं पड़ता है. जिसकी जबान पर एक बार इस गुड़ स्वाद लग गया वह हर वर्ष यही गुड़ मंगाते हैं. अब यहां पर देशी शक्कर भी बनाने का काम शुरू हो गया है.
नरसिंहपुर जिले के ग्राम करताज के राकेश दुबे के पास 40 एकड़ जमीन है, जिसमें वह भी पूर्ण रूप से जैविक खेती करते हैं. अलग-अलग साइज अलग-अलग फ्लेवर का गुड़ बनाते हैं. जिनको भी सरकार द्वारा अनेक पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जा चुका है. थर्ड पार्टी के माध्यम से ये दुबई, मारीसस, सिंगापुर, श्रीलंका निर्यात कर रहे है.
1 Comment
Comments are closed.