Ujjain News: जीआई टैग मिलने की रेस में मध्यप्रदेश लगातार आगे बढ़ता जा रहा है. इसी कड़ी में अब उज्जैन के “बाटिक प्रिंट” को जीआई टैग हासिल हुआ है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसे लेकर खुशी जताई है. मोम को पिघलाकर कपड़ों पर एक खास तरह की प्रिंटिंग की जाती है, जिसे बाटिक प्रिंट कहा जाता है. ये कारीगरी हाथ से की जाती है. इंडोनेशिया-जावा के बाटिक को सबसे प्राचीन माना जाता है. लेकिन अब उज्जैन को इसका जीआई टैग मिल चुका है.
कुछ दिनों पहले रीवा के सुंदरजा आम को जीआई टैग दिया गया था. मुरैना की गजक को भी जीआई टैग हासिल है. इसके अलावा ग्वालियर की कालीन, सीहोर का शरबती गेहूं और गोंड पेंटिंग को भी जीआई टैग प्राप्त है. अब आखिरकार सदियों पुरानी कलाकारी बाटिक प्रिंट को भी जीआई टैग दिया गया है. ये प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है.
सीएम शिवराज ने जताई खुशी
सीएम शिवराज ने ट्वीट किया कि उज्जैन के “बाटिक प्रिंट” को ‘GI टैग’ मिलना हम सबके लिए गर्व व आनंद का विषय है. इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए समस्त कलाकारों और प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई. यह टैग मिलने से न केवल हमारे कलाकारों और प्रदेश को नयी पहचान मिली है, अपितु समृद्धि का भी नव मार्ग प्रशस्त हुआ है.
क्या है बाटिक प्रिंटिंग
बाटिक प्रिंटिंग है उज्जैन ही नहीं बल्कि दूर-दूर तक बहुत प्रसिद्ध है. उज्जैन के भैरवगढ़ में बाटिक प्रिंटिंग की जाती है. चादरों, कपड़ों और ड्रेस सामग्रियों पर इस तरह का खास प्रिंट किया जाता है. देश में उज्जैन बाटिक प्रिंट के लिए मशहूर है. उज्जैन में इस तकनीक का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है. ऐसी प्रिंटिंग के जरिए कपड़ों को सजाकर खूबसूरत बनाया जाता है.
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