कूनो में चीतों की मौत पर वबाल, कांग्रेस नेता ने कहा- प्रधानमंत्री जबरदस्ती छोड़े चीते, ये वन्य जीवों पर अत्याचार

ADVERTISEMENT

Kuno national park cheetah daeth news, MP News
Kuno national park cheetah daeth news, MP News
social share
google news

Kuno National Park: कूनो नेशनल पार्क में हो रही विदेशी चीतों की मौत पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. अब इस मुद्दे पर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री रामनिवास यादव ने कूनो में हो रही चीतों की मौत के लिए प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे वन्य जीवों पर अत्याचार बताया है.

प्रोजेक्ट टाइगर के तहत देश में फिर से चीता बसाने का प्रयास किया जा रहा है. इसी के तहत प्रदेश में नामीबिया और साउथ अफ्रीका से चीते लाये गए थे. लेकिन इन चीतों की लगातार मौत होती जा रही है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता जताई है और चीतों को कूनो से हटाकर राजस्थान जैसी जगहों पर शिफ्ट करने की बात कही है. कांग्रेस नेता भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा सरकार को घेर रहे हैं.

वन्य जीवों पर अत्याचार
प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री रामनिवास यादव ने कहा कि “प्रधानमंत्री ने अपनी हठधर्मिता के चलते कूनो नेशनल पार्क में जो चीते लाकर इवेंट किया था, जिसमें करोड़ों रुपए खर्च हुए और आज हम चीतों को नहीं बचा पा रहे हैं, ये बड़े दुर्भाग्य की स्थिति है. जबकि प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, तब उनसे बब्बर शेर की मांग कूनो पार्क के लिए की थी, तो उन्होंने मना कर दिया था. एक एनजीओ के कहने पर कूनो में चीते लाए गए. लेकिन आज चीते मर रहे हैं, ये वन्य जीव अत्याचार अधिनियम के अंतर्गत आता है.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

कूनो में नहीं है सही वातावरण
रामनिवास यादव ने सवाल खड़े करते हुए कहा चीतों को यहां क्यों लाया गया, क्यों छोड़ा गया या क्यों पटका ये समझ नहीं आता. प्रधानमंत्री ने अपने जन्मदिन के दिन जबरदस्ती इन्हें छोड़ा है. रामनिवास यादव का कहना है कि कूनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए उपयुक्त नहीं है. यहां ना तो सही टेंप्रेचर है, ना तो छायादार झाड़ियां हैं और न ही दौड़ने के लिए घास के मैदान हैं. धीरे-धीरे करके 6 चीते मर गए. प्रधानमंत्री ने अपनी हठधर्मिता से जबरदस्ती चीतों को यहां छोड़ा. ये वन्य जीवों पर अत्याचार है. अगर देश का प्रधानमंत्री यदि ये अपराध करे, तो बड़े दुर्भाग्य की बात है.

ऐसे हुई चीतों की मौत
27 मार्च को, साशा नाम की मादा चीता की किडनी की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी. 23 अप्रैल को उदय (दक्षिणी अफ्रीका) की कार्डियो-पल्मोनरी फेलियर के कारण मृत्यु हो गई थी और 9 मई को दक्ष नामक एक अन्य दक्षिण अफ्रीकी मादा चीता की मृत्यु हो गई थी, इसकी मौत की वजह एक नर चीता से हुई हिंसक झड़प थी. इसके बाद मादा चीता ज्वाला के 3 नन्हें शावकों की मौत हो गई है.

ADVERTISEMENT

ये भी पढ़ें: कूनो में 2 और शावकों ने तोड़ा दम, दो महीने में 6 चीतों की गई जान, चिंताजनक है वजह

ADVERTISEMENT

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT