ujjain news: मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय का कहना है कि हमारे युवाओं के लिए सही आदर्श प्रस्तुत करने की जरूरत है. सिकंदर ने भारत के खिलाफ युद्ध लड़ा, अत्याचार किए तो वह हमारे देश के युवाओं के लिए आदर्श कैसे हो सकता है. इसलिए उस पर आधारित मुआवरे को बदलने की जरूरत है. अब से जो जीता वही सिकंदर नहीं बोलेंगे, अब से विक्रम विश्वविद्यालय एक नया नारा दे रहा है और वह होगा जो जीता वही विक्रमादित्य.
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने युवाओं के लिए दो प्रमुख संकल्प दिए थे. एक था विरासत पर गर्व और दूसरा था गुलामी से मुक्ति. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बारे में जिक्र किया था.
कुलपति ने कहा कि अपनी विरासत पर गर्व तभी होगा जब तक हम अपनी विरासत को युवाओं के बीच लाएंगे नहीं और गुलामी से मुक्ति तब मिलेगी, जब गुलामी के चिन्ह मिटाएंगे. विक्रम विश्वविद्यालय की स्थापना सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर हुआ है. जो जीता वहीं सिकंदर क्यों कहते हैं. सिकंदर महान कैसे हो सकता है. हम सिकंदर को क्यों याद करें, उसने तो भारत भूमि पर बहुत अत्याचार किए थे. इसलिए हम चाहते हैं कि इस मुआवरे को बदला जाए और अब जो जीता वहीं विक्रमादित्य किया जाए और इसका प्रचार-प्रसार शिक्षक और छात्र मिलकर करें.
मुआवरा बदलने से युवाओं को असली हीरो के बारे में पता चलेगा
कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि मुआवरा बदलने से ही आज के युवाओं को असली हीरों के बारे में पता चलेगा. उज्जैन को बसाने वाले सम्राट विक्रमादित्य का गौरवशाली इतिहास है. उनके बारे में देश की नई पीढ़ी को बताना पड़ेगा. तभी उनको समझ आएगा कि जो जीता वहीं सिकंदर नहीं हो सकता बल्कि जो जीता वहीं विक्रमादित्य ही हो सकता है.
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