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Karni Sena Protest: समझौता कराने में अरविंद भदौरिया कैसे बने संकटमोचक? जाने पूरा मामला

MP Political News: करणी सेना से बीते दिनों मप्र सरकार का आखिरकार समझौता हुआ. 8 जनवरी से चल रहे इस आंदोलन के समाप्त होने से मप्र सरकार को बड़ी राहत मिली. लेकिन बड़ी संख्या में देशभर से पहुंचे करणी सेना से जुड़े लोगों को आखिर सरकार ने मनाया कैसे? ये बड़ा सवाल राजनीतिक गलियारों में […]
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MP Political News: करणी सेना से बीते दिनों मप्र सरकार का आखिरकार समझौता हुआ. 8 जनवरी से चल रहे इस आंदोलन के समाप्त होने से मप्र सरकार को बड़ी राहत मिली. लेकिन बड़ी संख्या में देशभर से पहुंचे करणी सेना से जुड़े लोगों को आखिर सरकार ने मनाया कैसे? ये बड़ा सवाल राजनीतिक गलियारों में बना हुआ है.

दरअसल करणी सेना के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर और उनके सदस्यों के साथ मप्र सरकार के सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया लगातार संपर्क में बने हुए थे. बीते दिनों धरना स्थल पर मप्र सरकार ने अपने कैबिनेट मंत्री अरविंद भदौरिया को ही जीवन सिंह शेरपुर के पास भेजा और उन्होंने जूस पिलाकर उनका आमरण अनशन समाप्त कराया. अरविंद भदौरिया भी क्षत्रिय हैं और चंबल संभाग के नेताओं में प्रमुख स्थान बनाकर रखे हुए हैं. राज्य सरकार ने इस आंदोलन को मैनेज करने के लिए पर्दे के पीछे से अपने सभी क्षत्रिय नेताओं को  लगा दिया था. 

करणी सेना की ये हैं कुछ प्रमुख मांगे, तीन सदस्यीय कमेटी काम 

दोनों पक्षों के बीच 17 मांगों पर एक आम सहमति बनी. इसे लेकर राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है. इस कमेटी में एक अतिरिक्त मुख्य सचिव और दो प्रमुख सचिव शामिल हैं. यह कमेटी अपनी रिपोर्ट दो महीने में सरकार के समझ पेश करेगी. करणी सेना की कुछ प्रमुख मांगे इस प्रकार हैं.

1- सामान्य वर्ग के सभी जरूरतमंदों को उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण मिले.

2-आरक्षण का लाभ किसी भी परिवार या उसके सदस्य को एक बार ही मिले.

3-एससी-एसटी अधिनियम में संसोधन किया जाए.

4- सामान्य वर्ग के किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी एट्रोसिटी एक्ट के तहत बिना जांच-पड़ताल के ना हो.

5-सामान्य वर्ग के हितों के लिए भी सरकार कानून बनाए.

6- महंगाई और बेरोजगारी कम करने के लिए भी राज्य सरकार काम करे.

दो महीने बाद समझ आएगा, सरकार कितनी मांगों को पूरा कर सकेगी

दरअसल करणी सेना की इन मांगों पर सरकार कितना काम कर पाएगी.यह तो दो महीने के बाद ही मालूम चल सकेगा. करणी सेना और राज्य सरकार दोनों को ही अब तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार रहेगा। रिपोर्ट के आने के बाद ही करणी सेना के इस आंदोलन की आगामी रुपरेखा स्पष्ट होगी. फिलहाल चुनावी साल में मप्र सरकार को इस राजनीतिक संकट से कुछ समय के लिए राहत मिल गई है.

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