फोटो: विकास दीक्षित
गुना में गल यानी मचान के पूजन की आदिवासी परंपरा सालों से चल रही है
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मन्नत पूरी होने पर रस्सी से बांधकर मचान के चारों ओर झुलाने की अनूठी है यह परंपरा
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आदिवासी परंपरा में गल यानी मचान का बेहद धार्मिक महत्व है
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परेशानियों और दुःखों से जूझ रहे व्यक्ति अपने इष्ट बाबादेव के नाम पर मन्नत मांगते है
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यह उत्सव बमोरी तहसील के सिरसी क्षेत्र ग्राम नगदा में मनाया जाता है
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गल के चारों ओर मेला भरता है. हजारों लोग इकट्ठे होते हैं. मन्नतें मांगते हैं
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उत्सव के दौरान ढोल मांदल की थाप पर भीली नृत्य(आदिवासी नृत्य) किया जाता है
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गल पर लकड़ी में बंधी हुई रस्सी के सहारे आस्थावान व्यक्ति को बांधा जाता है
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फिर उसे मन्नत के अनुसार तीन, पांच या सात बार घुमाया जाता है
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