फोटो: एमपी तक

दिलचस्प है महाकाल की शाही सवारी का इतिहास, भगवान को दिया जाता है गॉर्ड ऑफ ऑनर

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उज्जैन के बाबा महाकाल की अंतिम सवारी को शाही सवारी के रूप में निकालने की परंपरा है. 

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MP Tak से ज्योतिषाचार्य पंडित श्री आनंद शंकर व्यास ने शाही सवारी के इतिहास के बारे में जानकारी दी.

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12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान महाकालेश्वर उज्जैन नगरी के राजाधिराज महाराज माने गए हैं.

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शाही सवारी में बाबा महाकाल बकायदा राजा के रूप में अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए निकलते हैं.

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महाकाल का सभा मंडप में सर्वप्रथम पूजन होता है, इसके बाद वे शिप्रा घाट पहुंचते हैं. 

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सवारी में बाबा महाकाल को मंदिर से निकलते ही सशस्त्र बल की टुकड़ी गॉड ऑफ ऑनर देती है. 

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शाही सवारी में में झांकियां, भजन मंडलिया, बैंड, करतबकार बाबा की आराधना करते हुए शामिल होते हैं. 

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उज्जैन ग्वालियर स्टेट का एक हिस्सा रहा है, इसीलिए सिंधिया परिवार का कोई सदस्य शाही सवारी में शामिल होता है.  

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वर्तमान में ज्योतिरादित्य सिंधिया शाही सवारी में शामिल होने आते हैं, इससे पहले राजमाता सिंधिया आती थीं.

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