फोटो- ओरछा धाम के फेसबुक पेज से

ओरछा में कैसे पहुंचे थे भगवान राम, 500 वर्ष पुराना है इतिहास

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मध्यप्रदेश की अयोध्या कहे जाने वाले ओरछा के रामराजा मंदिर का जिक्र पुराणों में है. रामराजा सरकार के दर्शनों के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं.

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आज जो ओरछा का स्वरूप आपको देखने को मिलता है इसके निर्माण की शुरूआत 1501 में राजा रूद्र प्रताप सिंह द्वारा की गई थी.

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रामराजा मंदिर बनने की कहानी काफी रोचक है, ऐसा कहा जाता है कि महारानी की जिद के आगे भगवान राम को भी झुकना पड़ा था. 

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दरअसल महाराजा मधुकरशाह ने अपनी पत्नी गणेशकुंवरी से वृंदावन साथ चलने के लिए कहा, मगर महारानी तो भगवान राम की भक्ति में लीन रहती थी. इसलिए उन्होंने जाने से मना कर दिया.

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महाराजा ने महारानी को तैश में आकर बोल दिया, इतनी रामभक्त हो तो अपने राम को ओरछा ले आओ.

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इसके बाद रानी अयोध्या गई और वहां सरयू तट पर साधना शुरु कर दी, और वहां संत तुलसीदास से आशीर्वाद पाकर रानी की तपस्या और कठोर हो गई. 

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कई महीनों बाद भी राम जी के दर्शन नहीं हुए तो रानी नदी में कूद गईं, नदी में रामजी के दर्शन हुए, तब रानी ने राम जी को ओरछा चलने के लिए निवेदन किया. 

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इसके बाद ओरछा के महाराजा मधुकरशाह ने ओरछा में रामराज की स्थापना की और वह आज भी वैसा ही है.   

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