फोटो: एमपी टूरिज्म

भारतीय इतिहास विश्व के सबसे प्राचीन इतिहासों में से एक है, उसी तरह यहां मौजूद ऐतिहासिक विरासतें भी काफी प्राचीन हैं. 

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सांची स्तूप तीसरी शताब्दी ई.पू. से 12वीं शताब्दी के बीच के हैं, यहां पर भगवान बुद्ध की निशानी सुरक्षित रखी हुई है. 

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ये राजधानी भोपाल से लगभग 46 किमी दूर सांची गांव में स्थित है, यहां पर 3 स्तूप हैं.

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 ये देश के सर्वाधिक संरक्षित स्तूपों में से एक हैं, 1989 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल में शामिल किया था. 

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इस ऐतिहासिक स्तूप का निर्माण मौर्य साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ई.पू. में किया गया था.

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इसके केन्द्र में एक अर्धगोलाकार ईंट निर्मित ढांचा था, जिसमें भगवान बुद्ध के कुछ अवशेष रखे थे.

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इस स्तूप को पहले ईंटो से बनवाया गया था, जिसे शुंग काल के दौरान पत्थरो से ढंक दिया गया.

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इस स्तूप में तोरण द्वारो और कटघरों का निर्माण सातवाहन काल में किया गया था, जिन्हें सुंदर रंगो से रंगा गया.

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माना जाता है की द्वार पर बनायी गयी कलाकृतियां और द्वारो के आकार को सातवाहन राजा सातकर्णी ने ही निर्धारित किया था. 

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इन स्तूपों की खोज वर्ष 1818 में एक ब्रिटिश अधिकारी जनरल टेलर ने की थी. 

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इस स्तूप के निकट सबसे प्रसिद्ध अशोक स्तंभ, जिसमें सारनाथ की तरह चार शेर शामिल हैं पाया गया है.

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