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बीड़ी के पत्ते तोड़कर पाला पेट, फिर क्रैक किया UPSC और बन गईं कलेक्टर

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प्रशासनिक अधिकारी सविता प्रधान किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. उनकी कहानी बेहद प्रेरणादायक है. 

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सविता का जन्‍म मध्‍य प्रदेश के मंडी के एक आदिवासी गांव में हुआ था. उनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी.

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बचपन में सविता सुबह उठकर महुआ बीनने और बीड़ी पत्‍ता तोड़ने चली जाया करती थीं.

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पढ़ने का शौक था, लेकिन स्कूल में एडमिशन इसलिए लिया ताकि वजीफे से मिलने वाले पैसे घर में काम आ सकें. 

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सविता पढ़ाई में होशियार थीं. वे 10वीं पास करने वाली गांव की पहली लड़की बनीं.

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सफलता से खुश होकर जब वे डॉक्टर बनने के सपने देखने थीं, तभी उनकी शादी हो गई. 

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सोचा था शादी के बाद उनकी तकलीफें मिट जाएंगी, लेकिन उन्हें पति और ससुराल से भी प्रताड़ना ही मिली. 

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रोज की प्रताड़ना से तंग आकर सविता ने सुसाइड करने का मन बना लिया. वे तब 2 बच्चों की मां बन चुकीं थीं. 

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अलग-अलग जगहों पर काम करके बच्चों को पाला, साथ ही ग्रेजुएशन के लिए कॉलेज में एडमिशन लिया.

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जब PSC के एग्जाम के बारे में सुना तो जी जान से मेहनत में जुट गईं और फिर अफसर बनीं. 

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