देश की आजादी की वर्षगांठ मनाते हुए हम सभी अपने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को सलामी देते हैं.
फोटो- एमपी तक
आजादी के अमृतकाल में देश में तिरंगे के प्रति लोगों की दीवानगी बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि तिरंगे की डिमांड बढ़ती जा रही है.
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लेकिन क्या आपको पता है लाल किले पर फहराने वाला तिरंगा कहां पर बनता है. इसका निर्माण ग्वालियर की मध्य भारत खादी संस्था में होता है.
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यही नहीं, यहां बने तिरंगे की डिमांड इतनी है कि कश्मीर से लेकर अंडमान तक तिरंगा इस संस्था द्वारा भेजा जा रहा है.
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मध्य भारत खादी संघ ने 14 अगस्त तक एक करोड़ 7 लाख रुपये कीमत के तिरंगे झंडे की सप्लाई कर चुका है.
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ग्वालियर की इस संस्था में तिरंगा झंडा तैयार करने में 6 दिन का समय लगता है. यहां पर 180 से लेकर 9000 रुपये तक कीमत के झंडे मिलते हैं.
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ग्वालियर में जो तिरंगे तैयार होते हैं, वो राष्ट्रीय ध्वज मानकों के आधार पर होता है. जिसमें ताना बाना की मजबूती से लेकर रंग तक में राष्ट्रीय मानक का ध्यान रखते हैं.
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तिरंगे की सिलाई के दौरान कपड़े का मेजरमेंट, रंगों की मजबूती सहित अन्य मानकों को जांचने के लिए मशीनों से टेस्टिंग की जाती है.
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तिरंगे की सिलाई के दौरान कपड़े का मेजरमेंट, रंगों की मजबूती सहित अन्य मानकों को जांचने के लिए मशीनों से टेस्टिंग की जाती है.
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