चंदेलों की बेटी थी, गौंडवाने की रानी थी, क्या है रानी दुर्गावती का इतिहास?
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भारतीय इतिहास उन्हें वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम से जानता है. वह बहादुर थीं. स्वाभिमान से भरी हुई थीं.
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आज यानी 5 अक्टूबर को उनकी बर्थ एनिवर्सिरी के मौके पीएम मोदी वीरांगना की धरती कही जाने वाले मध्य प्रदेश के जबलपुर पहुंचेंगे.
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रानी दुर्गावती की याद में बनने वाले स्मारक का भूमि पूजन करेंगे.
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वे अपने माता-पिता की एकलौती संतान थीं. बढ़ती उम्र के साथ ही उनकी चपलता, होशियारी, कुशाग्र बुद्धि का परिचय होने लगा था.
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कालांतर में उनका विवाह गोंडवाना राज्य के राजकुमार दलपत शाह से हुआ.
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महज चार साल बाद ही पति के असामयिक निधन के बाद उन्होंने राज्य की सत्ता संभाल ली. उस समय मुस्लिम आक्रांता जगह-जगह कब्जे की होड़ में थे.
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उन्होंने गोंडवाना राज्य पर भी कब्जे की कोशिश यह मानकर कि पति की असमय मौत से व्यथित एक युवा नारी भला क्या ही लड़ेगी? पर हुआ एकदम उल्टा.
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मालवा के मुस्लिम शासक बाज बहादुर की नजर रानी और उनके राज्य दोनों पर थी लेकिन वह बाल भी बांका न कर सका. हर बार मुंह की खानी पड़ी.
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भारत सरकार ने उनके बलिदान दिवस पर साल 1988 में डाक टिकट जारी किया तो मध्य प्रदेश में सरकार किसी भी दल की बनी रहे, रानी दुर्गावती को सबने सम्मान दिया है.
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