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उज्जैन में बाबा महाकाल की भस्मारती विश्व प्रसिद्ध है. इसका पौराणिक महत्व है. मान्यता है कि भस्मारती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है. 

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श्रावण का महीना आने वाला है. सावन के महीने में बाबा महाकाल के दर्शन और भस्मारती देखने का खास महत्व है.

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श्रावण के महीने में जब भगवान महाकाल की शाही सवारी निकलती है, तब सोमवार की भस्मारती अद्भुत और अनिर्वचनीय होती है. भस्मारती सुबह 4 बजे की जाती है.

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श्रावण की सवारी 10 जुलाई से शुरू हो रही हैं. बता दें कि महिलाओं के लिए भस्मारती देखना निषेध माना गया है.  

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भगवान महाकाल सुबह निराकार रूप में होते हैं और फिर पंडितों द्वारा ताजी भस्म से उनकी भव्य आरती की जाती है. 

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भस्म बनाने के लिए कंडे,पीपल, अमलताश, पलााश, बेर और शमी की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है. 

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पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती ने अपने पिता द्वारा शिव का अपमान हेने पर यज्ञ में स्वंय को आहूत कर दिया था. माता की भस्म शिव ने शरीर पर लगाई थी. .

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एक अन्य पौराणिक मान्यता दूषण राक्षस से जुड़ी है. कहते हैं कि भगवान शिव ने इसका वध किया था और भस्म शरीर पर लगाई थी. 

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सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू हो रहा है. इस महीने में भस्मारती के दर्शन का खास महत्व माना गया है. 

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