फोटो: एमपी तक 

जय विलास महल, जिसे जय विलास पैलेस के नाम से भी जाना जाता है, ग्वालियर में उन्नीसवीं सदी में बना एक भव्य महल है.

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इसका निर्माण 1874 में ब्रिटिश राज में ग्वालियर के महाराजा जयाजीराव सिंधिया ने करवाया था. इस पैलेस में 400 कमरे हैं.

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19वीं सदी में बने इस महल की कीमत उस समय 1 करोड़ रुपये थी. अगर आज के समय के हिसाब से देखा जाए तो लगभग 4 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा है. 

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यह महल जीवाजी राव सिंधिया के पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया को विरासत में मिला है. जहां उनका परिवार साथ रहता है.

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महल की हर एक मंजिल अलग-अलग थीम पर बनाई गई है. इसकी एक फ्लोर टस्कन है, दूसरी इटालियन-डोरिक और तीसरी कोरिंथियन और पल्लाडियन डिजाइन से इंस्पायर होकर बनाई गई है..

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पैलेस में बना म्यूजियम सिंधिया राजघराने के इतिहास की जानकारी देता है. यह राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने जीवाजीराव सिंधिया की याद में बनाया था. 

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महल की खूबसूरती में चार-चांद लगाने के लिए हॉल के इंटीरियर में 560 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है. 

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महल में एक मॉडल ट्रेन रखी गई है, जो चांदी से बनी है. यह ट्रेन डाइनिंग टेबल पर लगी है.  जिसपर सिंधिया लिखा हुआ है. 

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कब जाएँ? जय विलास पैलेस बुधवार को छोड़कर सभी दिन बाहरी लोगों के लिए खुला रहता है. महल के खुलने का समय सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक है.

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