फोटो: एमपी तक

अहिल्याबाई होलकर इंदौर की रानी थी, जिनके जन्मदिन पर इंदौर गौरव दिवस मनाया जाता है.

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महाराष्ट्र सरकार ने अहमदनगर नाम बदलकर ‘अहिल्या नगर' कर दिया है. ये महारानी अहिल्याबाई के नाम पर रखा गया है 

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महारानी अहिल्याबाई प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव की पत्नी थीं. अहिल्याबाई किसी बड़े राज्य की रानी नहीं थीं.

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20 मई 1766 को मल्हार राव का निधन हुआ, इसके बाद राजपाट अहिल्या देवी होल्कर के सुपुत्र माले राव होलकर को सौंपा गया.

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वह केवल 9 माह तक राज कर पाए और उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद राज्य का सारा भार अहिल्या देवी पर आ गया. 

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उन्होंने 13 मार्च 1767 में रियासत की कमान अपने हाथों में ली. पुत्र के जाने से दुखी अहिल्या देवी ने अपनी राजधानी महेश्वर बना ली और इंदौर छोड़कर चली गईं.  

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महारानी अहिल्याबाई होलकर भारत के मालवा साम्राज्य की मराठा होलकर महारानी थीं. उनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के छौंड़ी ग्राम में हुआ.   

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इसके एक साल बाद ही उन्हें मालवा साम्राज्य की महारानी का ताज पहनाया गया. वह हमेशा से ही अपने साम्राज्य को मुस्लिम आक्रमणकारियो से बचाने की कोशिश करती रही.

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मुस्लिम आक्रमणकारियों के द्वारा तोड़े हुए मंदिरों को देखकर ही उन्होंने सोमनाथ में शिवजी का मंदिर बनवाया. जो आज भी हिन्दुओं द्वारा पूजा जाता है.

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सत्ता संभालने के बाद रानी अहिल्याबाई अपनी राजधानी महेश्वर ले गईं. वहां उन्होंने 18वीं सदी का बेहतरीन और आलीशान अहिल्या महल बनवाया. 

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एक बुद्धिमान, तीक्ष्ण सोच और स्वस्फूर्त शासक के तौर पर अहिल्याबाई को याद किया जाता है. हर दिन वह अपनी प्रजा से बात करती थीं. उनकी समस्याएं सुनती थीं. 

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