फोटो: एमपी तक

IAS अधिकारी सविता प्रधान आज भले ही अधिकारी हों, लेकिन उनके संघर्ष की कहानी पढ़कर हर किसी की आंख भर आएगी. 

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सविता प्रधान का जन्म आदिवासी परिवार में हुआ और 10वीं पास करने वाली गांव पहली लड़की थी. 

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सविता शुरू से ही पढ़ने में होशियार थी, वह हमेशा अपनी क्लास में अव्वल आती थी.

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IAS सविता प्रधान जब 16 साल की थीं, तभी उनकी शादी अपने काफी बड़ी उम्र के युवक से करा दी गई. 

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इसके बाद सविता प्रधान की जिंदगी में प्रताड़ना और दुखों का पहाड़ टूटना शुरू हो गया.

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पति उन्हें प्रताड़ित करता, मारता पीटता और कभी-कभी तो उन्हें भोजन तक नहीं मिलता था.

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दो बच्चे हो गए, इसके बाद भी प्रताड़ना कम नहीं हुई और सविता के जीवन से परेशानियां कम नहीं हो रही थीं. 

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सविता ने कई बार आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन जिंदगी उसे हर बार खींच लाई.

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सविता जब 21 साल की हुई तो वह अपने बेटों को लेकर ससुराल से निकल गई और फिर शुरू हुआ उनका नया जीवन.

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फिर सविता को आईएएस के बारे में जानकारी हुई और उन्होंने इसे ही जीवन का लक्ष्य बना लिया.

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