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महाकाल मंदिर: उज्जैन शहर में स्थित श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग देश का इकलौता दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग हैं, यहां भगवान शिव भक्तों को कालों के काल महाकाल के रूप में दर्शन देते हैं.

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कालभैरव मंदिर: इस मंदिर के संबंध चमत्कारी बात ये है कि यहां स्थित कालभैरव की प्रतिमा मदिरा (शराब) का सेवन करती है लेकिन मदिरा जाती कहां है ये रहस्य आज भी बना हुआ है.

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महाकाल लोक: यह कॉरिडोर सनातम और नूतन का अद्भुत संगम है। महाकाल लोक में भगवान शिव के 190 रूपों का चित्रण किआ गया है और इसके साथ हे देवी देवताओं की अद्भुत प्रतिमाएं भी बनाई गयी है

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चिंतामन गणेश मंदिर; गौरीसुत गणेश की तीन प्रतिमाएं गर्भगृह में प्रवेश करते ही दिखाई देती हैं, यहां पार्वतीनंदन तीन रूपों में विराजमान हैं, मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी.

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हरसिद्धि माता मंदिर: ऐसा कहा जाता है कि यह स्थान सम्राट विक्रमादित्य की तपोभूमि है, मंदिर के पीछे एक कोने में कुछ 'सिर' सिन्दूर चढ़े हुए रखे हैं.

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गढ़कालिका देवी: तांत्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारिक मंदिर की प्राचीनता के विषय में कोई नहीं जानता, फिर भी माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारतकाल में हुई थी,

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रामघाट: एमपी के उज्जैन में 14 साल के वनवास के दौरान भगवान श्री राम और सीता ने शिप्रा तट के किनारे पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण किया था. जिसके बाद शिप्रा नदी का ये घाट रामघाट के रूप में नाम से जाना जाता है.

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संदीपनी आश्रम:  श्रीकृष्ण, बलराम और उनके मित्र सुदामा ने यहां इसी आश्रम में महर्षि सांदीपनि से वेदों और शास्त्रों का ज्ञान लिया था. इसीलिए आज भी सांदीपनि आश्रम को श्रीकृष्ण की विद्यास्थली के नाम से जाना जाता है.

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भतृहरि की गुफांए: गुफा के अंदर जाने का रास्ता काफी छोटा है, जिसके कारण वहां सांस लेने में कठिनाई होती है. गुफा में भर्तृहरि की प्रतिमा के सामने एक धुनी भी है, जिसकी राख हमेशा गर्म ही रहती है.

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मंगलनाथ मंदिर: अंमंगल को मंगल में बदलने वाले भगवान मंगलनाथ यहां विराजते हैं. इस मंदिर में देश ही बल्कि विदेशों से भी लोग अपनी कुंडली के मंगल दोष निवारण के लिए आते हैं.

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