फोटो:  संदीप कुलश्रेष्ठ

नवरात्रि के दिनों में उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है.

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हरसिद्धि मां से जुड़ी हुई कई मान्यताएं और कथाएं हैं....

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इन्हें हर मनोकामना पूरी करने वाली देवी अर्थात हरसिद्धि कहा गया है.

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देवी ने चण्ड और मुण्ड नामक दैत्यों का वध किया, जिसके बाद शिव ने हरसिद्धि नाम दिया

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मान्यता है कि यहां माता सती के शरीर का अंश हाथ की कोहनी आकर गिरी थी.

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हरसिद्धि 51 शक्तिपीठों में से एक है. इस मंदिर का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है.

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यहां तीनों देवियां विराजमान हैं. सबसे ऊपर लक्ष्मी, बीच में हरसिद्धी और नीचे सरस्वती विराजित हैं. 

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इस मंदिर में वर्षो से अखंड ज्योत विद्यमान है, जो सदा जलती रहती है.

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मंदिर के कुछ ‘सिर’ सिन्दूर चढ़े हुए रखे हैं. ये ‘विक्रमादित्य के सिर’ बतलाए जाते हैं.

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कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने देवी को प्रसन्न करने के लिए अपने सिर काटकर चढ़ाए थे. 

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