फोटो: सुधीर जैन
देश आजाद हुये 70 साल से अधिक हो चुके हैं. लेकिन समाज में जातीय भेदभाव पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है.
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आज भी जाति के नाम पर गांव देहात में अनुसूचित वर्ग के लोगों को घोड़ी पर बारात निकालने से रोका जाता है.
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गांव में अभी भी ऐसी मान्यताएं है कि ऊंची जाति के लोगों के घर से सामने से अनुसूचित जाति के लोग न तो चप्पल पहन के निकल सकते हैं
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जिले के बल्देबगढ़ विकासखंड के मतौली गांव में हरदयाल अहिरवार की शादी थी.
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वो भी चाहता था कि उसकी बारात घोड़ी पर गाजे बाजों के साथ निकाली जाए. लेकिन दबंगो के डर से वो ऐसा नहीं कर पा रहा था.
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हरदयाल ने थाने में बताया कि मैं अपनी बारात घोड़ी पर निकालना चाहता हूं, लेकिन मुझे डर है
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अगर बारात निकली तो गांव के दबंग लोग मारपीट कर सकते हैं. जैसा की वो पहले भी कर चुके हैं.
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थाना प्रभारी मनोज द्विवेदी से बारात को गांव में घुमाने के लिए पुलिस से सुरक्षा की मदद मांगी,
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थाना प्रभारी मनोज द्विवेदी से बारात को गांव में घुमाने के लिए पुलिस से सुरक्षा की मदद मांगी,
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जिसके बाद आज एक दर्जन से अधिक पुलिस वालों की देखरेख में दूल्हे को घोड़ी पर बैठा कर राछ निकाली गयी.
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एक ऐसा गांव जहां होती है हथियारों की खेती, जहां खोदा वहीं मिला जखीरा
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