ज्योतिरादित्य सिंधिया 2023 के विधानसभा चुनाव में भी बनेंगे ‘किंगमेकर’ या उनको ‘किंग’ बनाने की है तैयारी? जानें

अभिषेक शर्मा

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Jyotiraditya Scindia mp political news 2023 assembly elections MP BJP mp congress
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MP POLITICAL NEWS:  वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया मप्र की राजनीति में सेंटर ऑफ पॉलिटिक्स थे. उनके कारण ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस का 15 साल से चला आ रहा चुनावी वनवास समाप्त हुआ था और फिर बाद में उन्हीं की वजह से कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई थी. सिंधिया समर्थक विधायकों की मदद से भाजपा ने दोबारा से अपनी सरकार बना ली थी. लेकिन क्या 2023 का विधानसभा चुनाव भी सिंधिया के ही इर्द-गिर्द लड़ा जाएगा. क्या सिंधिया एक बार फिर से मध्य प्रदेश की राजनीति में सेंटर ऑफ पॉलिटिक्स साबित होंगे. क्या एक बार फिर से वे किंग मेकर बनेंगे या इस बार उनका इरादा खुद किंग बनने का है. हालांकि खुद ज्योतिरादित्य सिंंधिया ने MP TAK के ‘बैठक’ कार्यक्रम में दिए एक्सक्लूजिव इंटरव्यू में खुद को किसी भी तरह की रेस से बाहर बताया था. लेकिन राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि यहां जो दिखाई देता है, वह होता नहीं है और जो होता है, वह कभी भी दिखाई नहीं देता है. असल सच्चाई ग्राउंड पर है और उसी को जानने की कोशिश की MP TAK ने. विस्तार से पढ़िए, पूरा विश्लेषण.

सिंधिया को लेकर बीजेपी के अंदर मची हलचल को समझने के लिए आपको थोड़ा पीछे जाना होगा. एक महीने पहले ग्वालियर में ऐतिहासिक व्यापार मेले का शुभारंभ कार्यक्रम हुआ. जिसमें मध्य प्रदेश सरकार के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा भाषण देने के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लेने के स्थान पर उनके पिता स्व. माधवराव सिंधिया का नाम लेने लगे. गलती का एहसास होने पर उन्होंने मंच से सिंधिया से इसके लिए माफी मांगी. उनके भाषण के समाप्त होने के बाद मध्य प्रदेश सरकार के चर्चित एवं सिंधिया समर्थक राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भाषण देने आए और वह भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शिवराज सिंह तोमर कहकर संबोधित करने लगे. राजनीतिक गलियारों में इस घटनाक्रम को मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा की कथित गलती का काउंटर अटैक करना समझा गया.

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इससे पूर्व भी मप्र सरकार की वरिष्ठ महिला कैबिनेट मंत्री जब ग्वालियर में एक कार्यक्रम में भाग लेने आईं तो उन्होंने बोला  ‘यहां पर सब नई बीजेपी वाले ( ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री और कार्यकर्ता) दिखाई दे रहे हैं ,हमारी पुरानी बीजेपी के कार्यकर्ता कहां है. वे दिखाई नहीं दे रहे हैं’. जाहिर है कि ये दो घटनाक्रम बताते हैं कि सिंधिया और उनके समर्थकों को लेकर पार्टी के अंदर किस तरह की हलचल मची हुई है.

मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और रिटायर्ड नौकरशाह भी मान रहे,सिंधिया का पलड़ा है भारी
बीजेपी के अंदर ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर मची इस हलचल को समझने MP TAK ने मध्यप्रदेश के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों और रिटायर्ड नौकरशाह से बात की तो उन्होंने भी माना कि बीजेपी के अंदर सिंधिया को लेकर कई तरह की बातें चल रही हैं. और इस बार भी विधानसभा चुनाव उनके इर्द-गिर्द घूम सकता है.

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MP TAK से बातचीत में मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार धनंजय प्रताप सिंह बताते हैं, ‘इस बार शिवराज सरकार के लिए मुश्किलें अधिक हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ग्वालियर चंबल संभाग में बड़ा नुकसान हुआ था. ग्वालियर चंबल संभाग के 8 जिलों में मौजूद 34 सीटों में से 26 सीटें कांग्रेस ने जीती थी और बीजेपी के खाते में सिर्फ 8 सीटें आई थी. इस बार भी बीजेपी को लेकर जनता के मन में नाराजगी है. बीजेपी के इंटरनल सर्वे में भी ये बातें सामने आई हैं’. धनंजय प्रताप सिंह बताते हैं ‘जिस तरह से कुछ महीने पहले देश के गृहमंत्री अमित शाह अपने ग्वालियर दौरे के दौरान सिंधिया के जय विलास पैलेस पहुंचे थे, वह एक तरह से प्रदेश में पार्टी और संगठन के नेताओं को संकेत देने की कोशिश थी. यही वजह है कि बीजेपी और सीएम शिवराज सिंह चौहान संत रविदास जयंती के अवसर पर ग्वालियर-चंबल संभाग में अपनी स्थिति को मजबूत करने विकास यात्रा को निकालने की शुरूआत कर रहे हैं’.

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वरिष्ठ पत्रकार एलएन शीतल का भी मानना है कि ‘ इस बार सिंधिया किंग मेकर नहीं बल्कि खुद किंग बन सकते हैं. केंद्रीय नेतृत्व से उन्हें कहीं ना कहीं सपोर्ट मिल रहा है, लेकिन राज्य स्तर पर पार्टी और संगठन के अंदर उनको लेकर असंतोष की स्थिति बनी हुई है. वहीं शिवराज सिंह चौहान का लगातार 4 टर्म से मुख्यमंत्री बने रहना और सरकारी योजनाओं की डिलेवरी सिस्टम के कमजोर होने के कारण बड़े पैमाने पर एंटी इनकंबेंसी ग्राउंड पर है’.

मध्यप्रदेश के जाने-माने ब्यूरोक्रेट और रिटायर्ड आईएएस ऑफीसर राकेश श्रीवास्तव शिवराज सरकार में कलेक्टर, कमिश्नर से लेकर प्रमुख सचिव तक रहे हैं. वे बताते हैं कि ‘मैंने शिवराज सरकार का हर दौर करीब से देखा है. शिवराज सिंह चौहान सरकार में बनाई गईं योजनाओं का डिलेवरी सिस्टम जैसा हमारे समय होता था, वह इन दिनों मिसिंग है. लगातार मुख्यमंत्री रहने की वजह से भी एक तरह की एंटी इनकंबेंसी बन ही जाती है. ऐसे में चुनाव से पहले या चुनाव जीतने के बाद बीजेपी चौकाने वाले निर्णय भी ले सकती है. इसमें कोई शक नहीं कि 2023 का विधानसभा चुनाव भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के इर्द-गिर्द रहने वाला है’.

लेकिन मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ऐसा नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि ‘सिंधिया ना तो किंग मेकर बन पाएंगे न ही बीजेपी उनको मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रस्तुत करेंगी. दरअसल सिंधिया के साथ “महाराज” वाली छवि अब तक जुड़ी हुई है. जिसके कारण वह ग्राउंड पर आम लोगों से कनेक्ट नहीं कर पाते हैं, जबकि शिवराज सिंह चौहान आज भी आम आदमी के नेता के तौर पर प्रासंगिक बने हुए हैं. उनकी रैलियों में आज भी जबरदस्त भीड़ उनको सुनने के लिए उमड़ती है. जाहिर तौर पर शिवराज सिंह चौहान के मास अपील का मुकाबला सिंधिया नहीं कर सकते हैं, इसलिए बीजेपी चुनाव जीतने के बाद भी मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कोई बदलाव नहीं करेगी’.

2018 के विधानसभा चुनाव में चला था सिंधिया का जादू 
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अप्रत्यक्ष रूप से उनका चेहरा आगे करके चुनावी अभियान चलाया था तो वहीं बीजेपी ने भी उन्हीं के खिलाफ “माफ करो महाराज, हमारे नेता शिवराज” जैसा कैंपेन चुनाव में उतारा था. सिंधिया का जादू कुछ ऐसा चला कि कांग्रेस का 15 साल का चुनावी वनवास समाप्त हुआ और कांग्रेस की सीटें 58 से बढ़कर 114 पर पहुंच गई थी तो वहीं भाजपा 165 से लुढ़क कर 109 सीटों पर आ गई थी. लेकिन कमलनाथ-दिग्विजय सिंह के साथ मतभेदों के चलते सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस की सरकार गिरा दी और दोबारा हुए उप चुनावों में सिंधिया और उनके समर्थकों ने बंपर जीत दर्ज कर मध्यप्रदेश में फिर से बीजेपी की सरकार बनवा दी थी.

सिंधिया ने MP TAK को दिए इंटरव्यू में सीएम शिवराज के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही
वहीं खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया इस मामले में बेहद नपे-तुले अंदाज में चलते हुए दिखाई दे रहे हैं. बीते दिनों MP TAK को दिए इंटरव्यू में सिंधिया ने बोला ‘ हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं. यदि आपने मेरे अतीत को देखा है, मेरे पूज्य पिताजी और राजमाता साहब के अतीज को देखा हो तो मालूम चलेगा कि हमारा लक्ष्य जनसेवा है और राजनीति उस लक्ष्य की पूर्ति के लिए बस एक माध्यम है. मैं मानता हूं कि सीएम शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश विकसित और अग्रसर हो रहा है एवं सामाजिक विकास में लगातार आगे बढ़ रहा है. उनके नेतृत्व में हम सभी उनके साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं’.

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