कौड़ियों के भाव प्याज, कहीं फ्री बांटने को मजबूर को कहीं जानवरों को खिला दी फसल
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![कौड़ियों के भाव प्याज, कहीं फ्री बांटने को मजबूर को कहीं जानवरों को खिला दी फसल Onions priced at pennies, forced to distribute free somewhere, crop fed to animals](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/mptak/images/story/202305/digvijay-singh-4-768x432.png?size=948:533)
Khandwa News: प्रदेश भर में इन दिनों प्याज किसानों को आंसू निकलवा रहा है. भाव नहीं मिलने से किसान प्याज को या तो मवेशियों को खिलाने को मजबूर है तो कहीं किसान चौराहे पर मुफ़्त में प्याज बांटते नजर आ रहे हैं. खण्डवा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. जिसमें किसान शहर के प्रमुख चौराहे पर मुफ़्त बांटते दिख रहे हैं.
दरअसल पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश ने प्याज़ की अच्छी पैदावार के बावज़ूद इसमें खराबी ला दी है. बारिश की मार से प्याज़ खेतो में ही सड़ने लगा. जिसके चलते इसका कोई ख़रीददार ही नहीं बचा. मण्डी में इस ख़राब प्याज़ को जब दो रूपये किलो में भी खरीदने को कोई तैयार नहीं हुआ तो किसानो ने इसे बजाय वापस ले जाने के यहीं लुटा दिया.
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किसानों को फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा
मध्यप्रदेश में खण्डवा जिला एक बड़े प्याज़ उत्पादक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. यहां से बड़ी तादाद में प्याज़ देश के कई हिस्सों में जाता है. जिसकी गुणवत्ता भी बेहतर है और स्वाद भी. प्याज़ की तासीर ही वस्तुतः रुलाने वाली है, कभी इसकी कीमते बहुत बढ़ती हैं तो यह ग्राहकों को रुलाता है और कीमते घट जाये तो फिर किसानो को, इस बार दिक्कत कुछ अलग थी. इस बार क्षेत्र में प्याज़ की फसल भी अच्छी थी और भाव भी ठीक ही थे, लेकिन मौसम की अनिश्चितता ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया. प्याज़ के उत्पादन की लागत ही पांच से छह रूपये किलो आ रही है और प्याज़ ख़राब होने से इसके आधे भाव भी नहीं मिल पा रहे हैं.
भाव न मिलने से किसान ने फ्री बांट दी प्याज
पिछले दिनों ग्राम भेरुखेड़ा का एक किसान अपनी प्याज़ की फसल लेकर मण्डी आया तो वह इसके भाव सुनकर व्यथित हो गया. मंडी में दो से तीन रूपये किलो में भी प्याज़ खरीदने को कोई तैयार नहीं था. इस स्थिति में उसने अपना प्याज़ शहर के मध्य नगर निगम चौराहे पर रखकर इसे मुफ्त में बांटना ही बेहतर समझा. कुछ ही देर में मुफ़्त में प्याज़ लेने वालों की भीड़ जुट गयी.
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किसानों के लिए आफत बनी बेमौसम बारिश
आज मैं 82 कट्टे प्याज़ लाया था , वहां सौ रूपये कट्टे का भाव देखकर मैंने इस मुफ्त में ही बांट देने का सोचा। मंडी से 25 कट्टे लेकर यहाँ बांट दिए , बाकि प्याज़ ऐसे ही बांट देंगे. एक एकड़ में 70 – 80 हजार रूपये लागत आ रही है और अभी तक एक रूपये की भी प्याज़ नहीं बेच सका हूँ. उत्पादन तो 350 कट्टे है प्याज़ अच्छा पैदा हुआ था, बरसात की वजह से पूरा प्याज़ ख़राब हो गया.
किसान मवेशियों को प्याज खिलाने को मजबूर
खरगोन में प्याज के सही भाव नहीं मिलने से किसान मवेशियों को प्याज खिलाने को मजबूर हैं. सैकड़ों खेतों में पड़ा-पड़ा क्विंटलों प्याज खराब हो रहा है. कुछ साल पहले 80 ₹90 किलो बिकने वाले प्याज के ₹2 किलो भी कोई देने को तैयार नहीं है. मुनाफा तो दूर किसानों को प्याज की लागत भी नहीं मिल पा रही है. अब किसानों जो कुछ भी थोड़ी बहुत आस है वो सरकार से है.
![Onions priced at pennies, forced to distribute free somewhere, crop fed to animals](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/mptak/images/uploads/digvijay-singh-3-1200x676.png)
न लागत मिल पा रही न मजदूरी निकली
खरगोन के रहने वाले राजेंद्र चौधरी बताते हैं कि 1 एकड़ में किसानों ने 55000 से 70000 तक का बीज लगा लेकिन मंडी तक प्याज ले जाने पर किसानों को ₹25000 क्विंटल भी भाव नहीं मिल रहा. इसके चलते किसानों की ना तो लागत निकल पा रही है और ना ही मजदूरी निकल पा रही है. ऐसे में किसानों ने खेतों में प्याज छोड़ दिए, वहीं सैकड़ों किसानों ने प्याज तो निकाला लेकिन अच्छा प्याज तक खेतों में फेंक दिया और गांव वालों को मवेशियों को खिलाने खुद भरकर ले जाने की छूट दे दी.
इस समय किसान और व्यापारी दोनों परेशान
बेमौसम बारिश के कारण यह माल ख़राब हो गया है , प्याज़ में वॉयरस आ गया है. इसके कारण न किसान को कुछ मिल पा रहा है न व्यापारी को कुछ मिल पा रहा है. माल जो लोड हो रहा है वह रास्ते में ही ख़राब हो रहा है. इसलिए प्याज़ फेंकना पड़ रहा है. पचास किलो का कट्टा हमने 70 रूपये में लिया है , इसे छांट कर फिर बाजार में बेचेंगे.
किसान बोले- सरकार समेत सफल बीमा वाले गायब
किसानो को जहां मौसम की मार झेलनी पड़ी वहीं उनकी फसलों की नुकसानी में न सरकार मदद को आगे आ रही है न उन्हें फसल बीमा का कोई लाभ ही मिल पा रहा है. किसानो में इस बात को लेकर गहरा आक्रोश है कि किसानो की बेहतरी के दावे तो खूब होते है, बीज बोने से लेकर फसल तक का बीमा करने की बात सरकार करती है लेकिन जब भी फसल बर्बाद होती है बीमा कंपनी कहीं नज़र नहीं आती. किसानो ने सरकार से राहत राशि दिए जाने की भी मांग की है.
इनपुट- खरगोन उमेश रेवलिया
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