रईसजादे की तेज रफ़्तार कार से जान गंवाने वाले अनीश का हुआ अंतिम संस्कार,आक्रोशित हैं परिजन
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![रईसजादे की तेज रफ़्तार कार से जान गंवाने वाले अनीश का हुआ अंतिम संस्कार,आक्रोशित हैं परिजन Pune hit and run case](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/mptak/images/story/202405/664ceecbb0b1f-pune-hit-and-run-case-215818142-16x9.png?size=948:533)
Pune Hit and Run Case: पुणे में रईसजादे की तेज रफ़्तार कार से जान गंवाने वाले मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के पाली कस्बे में रहने वाले अनीश का मंगलवार सुबह अंतिम संस्कार कर दिया गया. घटना के बाद से ही परिजन सदमे में हैं. अनीश की मां सविता का तो रो रो कर बुरा हाल है. जिसे भी वह देखती हैं, उससे अपने बेटे को वापस लाने की गुहार लगाती हैं. उनका छोटा बेटा देवांश जो पुणे में ही रह कर पढ़ाई कर रहा था,वह भी सदमे में है.
19 साल के देवांश के सामने ही अस्पताल में अनीश का शव लाया गया. घटना के बाद सबसे पहले छोटे भाई देवांश को ही एक्सीडेंट की खबर मिली. मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के पाली कस्बे में रहने वाले अनीश का जन्म .6 मार्च 2000.को हुआ था. अनीश के दादा आत्माराम अवधिया पेशे से वकील हैं.
आत्माराम अवधिया के तीन बेटों में सबसे बड़े बेटे ओमप्रकाश के दो बेटों में बड़ा बेटा अनीश था. स्कूल की पढ़ाई बिरसिंहपुर पाली कस्बे में करने के बाद अनीश ने पुणे के डी वाई पाटिल कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बी टेक की डिग्री प्राप्त की. बी टेक करने के बाद अनीश की पुणे में ही एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी लग गई थी. दुर्घटना से पांच दिन पहले 14 मई को ही अनीश दुबई से लौटा था. दुबई से अनीश अपनी मां पिता और चाचा के लिए खरीदारी भी की थी. जल्द ही वह अपने घर भी आने वाला था. लेकिन एक भयावह दुर्घटना ने सब कुछ बदल दिया.
परिजनों में महाराष्ट्र पुलिस को लेकर बहुत नाराजगी है
घटना के बाद से ही जिस तरीके से पुलिस और अस्पताल का रवैया रहा, परिजन उससे बेहद आक्रोशित हैं. अनीश के दादा आत्माराम अवधिया का कहना है कि पुलिस का इस पूरे मामले में रवैया पक्षपातपूर्ण रहा. जिस तरह से उसे जमानत दी गई वह भी उचित नहीं है. वहीं अनीश के ताऊ का भी आरोप है कि पुलिस साक्ष्य एकत्रित करने में भी लापरवाही दिखा रही है और इतने गंभीर अपराध के बाद भी जो धाराएं लगनी चाहिए आरोपी के ऊपर नहीं लगाई गईं हैं. अनीश के शव को पुणे लेने पहुंचे उसके मामा योगेंद्र सोनी का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन भी उन्हें शव को जल्दी वहां से ले जाने का दवाब बना रहा था. यहां तक कि अनीश के शव को डिफ्रीजर तक में नहीं रखा गया था.
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