Lok Sabha Elections: अरुण यादव ने कांग्रेस छोड़ BJP में गए पचौरी पर लगाया ये गंभीर आरोप

पीताम्बर जोशी

24 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 24 2024 11:15 AM)

मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के प्रचार थमने से पहले नेताओं की जुबानी जंग शुरू हो चुकी है. कांग्रेस नेता अरूण यादव ने पूर्व कांग्रेसी नेता सुरेश पचौरी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.

अरूण यादव और सुरेश पचौरी

arun yadav& suresh pauchori

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Loksabha Chunav 2024: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के 4 चरणों में से दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को होशंगाबाद में वोटिंग होगी. बुधवार शाम को चुनाव प्रचार थम जाएगा. इससे पहले दोनों ही पार्टिया अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने पूरी ताकत लगा रही हैं. सोमवार को होशंगाबाद सीट के इटारसी में कांग्रेस ने एक सभा का आयोजन किया. सभा में शामिल होने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव पहुंचे. सभा को संबोधित करते हुए अरुण यादव ने सुरेश पचौरी पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने पचौरी पर कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं. जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.

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उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि "जो नेताजी यहां के थे. वह कहते थे इनका टिकट मत देना, इनको देना, इनको नहीं देना" "उनका नाम टिकट कटाउ नेताजी हो गया था" "कोई भी अच्छा हो, मजबूत लीडर हो, उसको टिकट नहीं मिलना चाहिए" यह उनका क्राइटेरिया होता था, लेकिन हमने मध्य प्रदेश में राहुल जी का आशीर्वाद लेकर टिकट कटाव नेताओं की एक ना सुनी. और जब नगरीय निकाय का चुनाव हुआ तब प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सारे नौजवानों को टिकट देने का काम किया.

 

चुनाव के पहले ही यहां से वहां हो गए

अरुण यादव यही नहीं रुके उन्होंने कहा मैं आपकी जानकारी में ला दूं कि हिंदुस्तान के इतिहास में और कांग्रेस के इतिहास में एक नेता ऐसा हुआ जो 30 साल तक बिना चुनाव लड़े राज्यसभा का सदस्य और मंत्री रहा है. कांग्रेस पार्टी के तमाम ओहदों पर रहा है. जब चुनाव लड़ने की हिम्मत हुई तो एक बार 27000 से और एक बार 32000 से हारे हैं. हमने तो इस बार भी कहा था लड़ लीजिए. हमारी तरफ से तो कोई मना ही नहीं था, लेकिन पता चला कि वे तो चुनाव के पहले ही चले गए.

होशंगाबाद आने में लगता था डर- यादव

अरुण यादव बोले मुझे याद है जब मैं 2013 में अध्यक्ष बना तो मुझे होशंगाबाद आने में बड़ा डर लगता था. यहां के नेताओं को थोड़ा बहुत पता होगा. डर क्यों लगता था? यह आप समझ जाइए. डर इसलिए लगता था, क्योंकि यहां पर एक ऐसे नेता हमारे हुए हैं. यहां ऐसा होता था यहां अगर आना है तो परमिशन लेनी पड़ती थी, कि मैं प्रदेश का अध्यक्ष हूं. अगर आपकी इजाजत हो तो मैं यहां पर शादी में हो आऊं, या किसी के यहां माताजी खत्म हो गई, तो मुझे जाना है. यहां आने के लिए परमिशन लेनी पड़ती थी.

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क्या है होशंगाबाद सीट का इतिहास

होशंगाबाद लोकसभा सीट देश के पहले आम चुनावों से ही अस्तित्व में आ गई थी. 1951 के पहले चुनाव में कांग्रेस के सैयद अहमद ने यहां से जीत दर्ज की थी, जबकि 1952 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ था, जिसमें प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के एचवी कामथ चुनाव जीते थे. 1957 में कांग्रेस ने यहां जोरदार वापसी की थी. लेकिन ये वापसी अगले चुनाव यानि कि 1962 में फिर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के हरिविष्णु कामथ के पाले में गई. 

यहां से 1967 और 1971 में कांग्रेस प्रत्याशी नीतिराज सिंह लगातार 2 बार जीत हासिल की थी. 1977 में पहली बार इस सीट पर कांग्रेस और  प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बजाय जनता पार्टी ने चुनाव जीता था. तो 1980 और 1984 में कांग्रेस के रामेश्वर नीखरा लगातार दो बार सांसद चुने गए. लेकिन 1989 में बीजेपी के सरताज सिंह ने पहली बार जीत हासिल की और 1999 तक लगातार यहां से चुनाव जीतते रहे. 2009 में लंबे समय बाद कांग्रेस की वापसी हुई, लेकिन 2014 और 2019 में बीजेपी ने यहां से फिर जीत हासिल की थी.

पूरी खबर यहां पढ़ें:अरूण यादव ने अपने पूर्व अध्यक्ष पचौरी पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- यही बैठकर कटवाते थे सबके टिकट

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