MP Lok Sabha Elections: क्या मुश्किल में हैं वीडी शर्मा, वीरेंद्र खटीक? दूसरे फेज में कितनी सीटों पर चुनाव और कौन हैं प्रत्याशी?
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Madhya Pradesh Lok Sabha elections 2024: मध्य प्रदेश में 4 चरणों में लोकसभा चुनाव होंगे. पहले चरण की वोटिंग के बाद अब राजनीतिक दलों का पूरा फोकस दूसरे चरण के चुनाव पर है. 26 अप्रैल को दूसरे फेज में 7 सीटों पर मतदान कराया जाएगा. इसमें टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद और बैतूल हैं.
दूसरे चरण में बीजेपी के दो दिग्गज चुनावी मैदान में हैं. खजुराहो से प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा तो टीकमगढ़ से केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव प्रचार अपने आखिरी दौर में है. बुधवार शाम को इन 6 सीटों पर प्रचार थम जाएगा. अगले 24 घंटे में बीजेपी और कांग्रेस पूरी ताकत झोंकती नजर आ रही है. आइए जानते हैं दूसरे चरण की कौन सी हैं प्रमुख सीटें और उम्मीदवार...
मध्य प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में से छिंदवाड़ा, सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला और बालाघाट सहित छह सीटों पर मतदान पूरा हो चुका है. 19 अप्रैल को हुए पहले चरण में मध्य प्रदेश के छह लोकसभा क्षेत्रों में 67.75 प्रतिशत वोटिंग हुई हैं. एमपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुपम राजन के अनुसार, पहले चरण के मतदान का अंतिम वोटिंग परसेंटेज 2019 के चुनाव से 7.32 प्रतिशत कम है.
टीमकगढ़: चौथी बार जीतने की चुनौती
साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई टीकमगढ़ लोकसभा तभी से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा बना हुआ है. उस समय यह सीट (एससी) के लिए आरक्षित की गई है. यहां से लगातार बीजेपी नेता वीरेंद्र कुमार खटीक सांसद हैं. खटीक चौथी बार टीकमगढ़ लोकसभा सीट से मैदान में हैं. तो वहीं कांग्रेस की तरफ से पंकज अहिरवार को मैदान में उतारा है.
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2019 में खटीक ने कांग्रेस की किरण अहिरवार को 3.48 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में टीकमगढ़ में 66.62% मतदान हुआ. लेकिन इस चुनाव में वीरेंद्र खटीक के खिलाफ एंटी इनकमबैंसी देखने को मिल रही है. यही कारण है कि टीकमगढ़ लोकसभा सीट का मुकाबला काफी दिलचस्प माना जा रहा है.
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खजुराहो: सबकी निगाहें, वीडी शर्मा की राह कठिन
1999 के बाद से चुनाव दर चुनाव कांग्रेस इस सीट पर जीत तलाशती रही लेकिन हर बार हार ही हुई है. या यूं कह लें कि 1999 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो 1989 के बाद लगातार भाजपा ने यहां परचम लहराया है. 1989 से 1999 तक उमा भारती ने जीत दर्ज की उसके बाद एक बार कांग्रेस आई और फिर भाजपा ने कमबैक किया और लगातार बनी हुई है. इसी जीत के रथ को रोकने के लिए सपा ने चक्रव्यूह रचते हुए मीरा यादव को मैदान में उतारा है. बता दें कि ये सीट उत्तर प्रदेश सीमा से सटी हुई है और यहां यादव वोटरों की संख्या भी ज्यादा है.
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2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के विष्णु दत्त शर्मा ने कांग्रेस नेता कविता सिंह को 4.92 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था. इस लोकसभा सीट से 1989 और 1998 के बीच मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती भी सांसद रह चुकी हैं. 2019 में 68.31% मतदान हुआ था. यहां बीजेपी का मुकाबला इंडिया अलायंस के प्रत्याशी राजा भैया प्रजापति से है.
दमोह: लोधी बनाम लोधी की टक्कर
साल 1962 में अस्तित्व में आई दमोह लोकसभा सीट लोधी बाहुल्य सीट है. यहां पर जातिगत समीकरणों को देखते हुए ही राजनीतिक दल वोट देते हैं. दमोह लोकसभा सीट से पिछले 2 चुनाव से वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटैल चुनते आए हैं. पटेल ने 2019 में कांग्रेस नेता प्रताप सिंह लोधी को 3.53 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया था, इस सीट पर कांग्रेस ने पूर्व विधायक तरवर लोधी तो वहीं बीजेपी ने पूर्व विधायक राहुल लोधी को चुनावी मैदान में उतारा है. दमोह लोधी बनाम लोधी की लड़ाई के लिए तैयार है.
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बैतूल: किला बचा पाएंगे उइके?
मध्य प्रदेश में बैतूल लोकसभा सीट पर बीजेपी का 1996 से कब्जा है. मौजूदा सांसद दुर्गा दास उइके जिन्होंने 2019 में कांग्रेस नेता रामू टेकाम को 3.6 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने 2019 की तरह ही इस बार भी प्रत्याशी रिपीट किए हैं. बैतूल में 2019 के लोकसभा चुनावों में 78.18% मतदान हुआ था. यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है.
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