New Parliament: नए संसद भवन को लेकर सियासत गरमाई हुई है. पू्र्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला. दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रपति द्वारा संसद का उद्घाटन नहीं करवाए जाने पर सवाल खड़े किए. पपीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी को महिमामंडित करने का रोग है. दिग्विजय सिंह ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि बड़े-बड़े भवन बनाने में इतना खर्चा क्यों किया जा रहा है, इसमें आमजन को क्या लाभ है.
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पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह रविवार को देवास जिले की बागली विधानसभा क्षेत्र के कांटाफोड़ पहुंचे थे. उन्होंने कांटाफोड़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिग्विजय सिंह ने नए संसद भवन के उद्घाटन और सिंगोल को लेकर मोदी सरकार को घेरा.
राष्ट्रपति से नहीं कराया शिलान्यास
दिग्विजय सिंह ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि संसद की कोई भी कार्यवाही हो बिना महामहिम राष्ट्रपति की मंजूरी ,जानकारी,सहमति के नहीं होती, तो फिर नए संसद भवन का शिलान्यास ,उद्घाटन राष्ट्रपति से क्यों नहीं करवाया गया? उद्घाटन की इतनी भूख! दिग्विजय सिंह ने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को बैठाकर उनको सम्मान,अधिकार नहीं दिया. अब उनको अपमानित भी कर रहे हैं. भारतीय संविधान के आर्टिकल 79 का उल्लंघन कर रहे हैं.
मोदी जी को महिमामंडित करने का रोग
दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरते हुए कहा “मोदी जी पूरे देश में 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद आज यह प्रदर्शित कर रहे कि इसके पहले कोई काम देश में नहीं हुआ था. 2014 के बाद ही काम हुआ.संसद के नए भवन पर लगभग 1100 करोड़ रुपये खर्च हुए, अब प्रधानमंत्री जी का खुद का निवास बन रहा है, उसमें लगभग 650-700 करोड़ ₹ खर्च हो रहे हैं, इसमें आम आदमी का क्या लाभ ? हमारा संसद भवन मुरैना के 84 खम्बों के मंदिर के आकार पर तत्कालीन ब्रिटिश हुकुमत ने बनाया था, विश्व का सबसे सुंदर संसद भवन माना जाता है. लेकिन मोदी जी को अपने आप को महामंडित करने का रोग है, रोग.”
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बड़े-बड़े भवन में क्यों खर्चा?
दिग्विजय सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि “दिल्ली में बड़े-बड़े आलीशान भवन बनाए जा रहे हैं. कांग्रेस के जमाने में देश पर लगभग 50 लाख करोड़ का कर्जा था, आज वह लगभग तीन गुना बढ़कर 155 लाख करोड़ कर्जा हो गया. देश के प्रति व्यक्ति पर जहां 40 हजार कर्जा था,आज वह करीब सवा लाख रुपये कर्जा हो गया. आज हम कुछ भी काम के लिए कहते हैं तो कहते है कि फंड्स नहीं, जब फंड्स नहीं है तो फिर इस देश में इतना खर्चा बड़े-बड़े भवन बनाने में क्यों किया जा रहा है.”
सिंगोल राजशाही का प्रतीक
दिग्विजय सिंह ने नए संसद भवन में सिंगोल को रखे जाने पर भी बात की. उन्होंने कहा कि “न्याय दंड एक राजशाही का प्रतीक है. नेहरू जी ने राजशाही के प्रतीक को लोकशाही के अंदर पार्लियामेंट में रखना उचित नहीं माना. अब संसद भवन में रखा कोई दिक्कत नहीं, लेकिन अब हम उम्मीद करते हैं कि अब संसद में न्याय दंड रखा गया है. जो कि निष्पक्षता, ईमानदारी से संचालन के लिए रखा रहेगा. कम से कम अब विपक्ष को बोलने का पूरा मौका मिलेगा. राहुल गांधी जी जब बोलते थे तब माइक ऑफ कर दिया जाता था. अब मुझे उम्मीद है कि नए संसद भवन में इसका पालन किया जाएगा.”
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