आम नहीं बेहद खास है MP का 'नूरजहां' मैंगो, मियाजाकी और सुंदरजा की भी दुनियाभर में है डिमांड
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Madhya Pradesh Mango: आम के स्वाद का हर कोई दीवाना होता है. भारत में करीब 1500 किस्म के आम होते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के आम की दुनिया दीवानी है. आलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा में नूरजहां आम पाया जाता है. इसका स्वाद तो लाजवाब है ही, साथ ही इसका साइज भी अनोखा है. नूरजहां को देखने तक लोग दूर-दूर से आते हैं. आम आने से पहले ही एक-एक फल की बुकिंग हो जाती है. वहीं मध्य प्रदेश के कई और आम की किस्म भी दुनियाभर में मशहूर हैं. इनकी डिमांड देश से लेकर विदेश तक है.
नूरजहां आम क्यों है खास?
नूरजहां आम स्वाद में तो लाजवाब है ही, इसके साथ ही इसका बड़ा साइज भी इसे सबसे खास बनाता है. नूरजहां के एक आम की कीमत 500 से लेकर 2000 रुपये तक है. एक आम का वजन 500 ग्राम से लेकर 2 किलो तक हो सकता है. वहीं ये आम 12 इंच तक लंबा हो सकता है. नूरजहां का पौधा अफगानिस्तान से गुजरात होते हुए मध्य प्रदेश आया. कट्ठीवाड़ा में ही 37 किस्में देखी जा सकती हैं. इस पेड़ की ऊंचाई 60 फीट तक होती है. एक पेड़ में 100 के करीब आम निकल आते हैं. इस प्रकार करीब 350 आम पांच पेड़ों से मिल जाता है.
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जबलपुर का मियाजाकी
जबलपुर के मियाजाकी आम की कीमत 20000 रूपये तक पहुंच जाती है. वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में तीन लाख रूपये किलो तक कीमत मिल जाती है. मियाजाकी आम लाल रंग का होता है. इस एक आम का वजन 900 ग्राम से लेकर डेढ़ किलो तक का होता है. मियाजाकी आम मूलतः जापान की किस्म है, जो थाईलैंड, फिलिपींस में भी होती है.
गोविंदगढ़ का सुंदरजा आम
सुंदरजा पिछले साल रीवा के गोविंदगढ़ में होने वाले सुंदरजा आम को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग मिला. सुंदरजा आम देखने में जितना सुंदर है स्वाद में उतना ही लाजवाब है, वहीं इसकी सुगंध भी लाजवाब है. ये आम गोविंदगढ़ के वातावरण में ही यह पनपता है, क्योंकि इस पेड़ की ग्रोथ में मिट्टी और तापमान दोनों का विशेष महत्व है. ये आम फ्रांस, अमेरिका, इंग्लैंड और अरब देशों को निर्यात होता है.
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मध्य प्रदेश में आम का उत्पादन
MP में पिछले 8 सालों के आम उत्पादन, क्षेत्र और उत्पादकता के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस फल का उत्पादन और क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है. वर्ष 2016-17 में आम की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 13.03 मीट्रिक टन थी, जो 2023-24 में बढ़कर 14.66 हो गई है. वहीं 2016-17 में आम का क्षेत्र 43609 हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 64216 हो गया है. इसी दौरान उत्पादन 5,04,895 मैट्रिक टन था जो अब बढ़कर 9,41, 352 मीट्रिक टन हो गया है.
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