गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल, हिन्दुओं ने निकाली परशुराम शोभायात्रा तो मुस्लिमों ने की पुष्पवर्षा

Madhya Pradesh: प्रदेशभर में जहां मुस्लिमों ने ईद का उत्सव मनाया तो वहीं हिन्दुओं द्वारा परशुराम जयंती का उत्सव मनाया गया. लेकिन राजगढ़ जिले में अनोखा नजारा देखने को मिला. राजगढ़ में अक्षय तृतीया के मौके पर भगवान परशुराम की विशाल शोभायात्रा निकाली गई. खास बात ये है कि मुस्लिम समाज के लोगों ने इस […]

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Madhya Pradesh: प्रदेशभर में जहां मुस्लिमों ने ईद का उत्सव मनाया तो वहीं हिन्दुओं द्वारा परशुराम जयंती का उत्सव मनाया गया. लेकिन राजगढ़ जिले में अनोखा नजारा देखने को मिला. राजगढ़ में अक्षय तृतीया के मौके पर भगवान परशुराम की विशाल शोभायात्रा निकाली गई. खास बात ये है कि मुस्लिम समाज के लोगों ने इस शोभायात्रा का पुष्पवर्षा कर जोरदार तरीके के साथ स्वागत किया. इस तरह से राजगढ़ में हिन्दु-मुस्लिम ने गंगा-जमुनी तहजीब का उदाहरण पेश किया.

राजगढ़ के खिलचीपुर में हर साल की तरह ही इस बार भी अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम की विशाल शोभायात्रा निकाली गई, जो गौतम आश्रम से शुरू हुई. प्रमुख मार्ग होते हुए नाहरदा पर यात्रा का समापन हुआ. यात्रा में जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया. यात्रा में पुरुष और महिलाएं दोनों बड़ी संख्या में शामिल थे, इसी बीच मुस्लिम समाज ने मिसाल पेश की.

मुस्लिम समाज ने की पुष्पवर्षा
राजगढ़ जिले के खिलचीपुर में शनिवार को भगवान परशुराम के प्रकट दिवस पर मध्य प्रदेश के मशहूर नौशाद बैंड के साथ सर्व ब्राह्मण समाज द्वारा विशाल शोभायात्रा निकाली गई. इस दौरान सांप्रदायिक सौहार्द की तस्वीर देखने को मिली. खिलचीपुर शहर में निकाली गई शोभायात्रा का मुस्लिम समाज के लोगों ने गर्मजोशी से स्वागत किया. शोभायात्रा पर पुष्प वर्षा कर भाईचारे की मिसाल पेश की. शहर में निकाली जाने वाली शोभायात्रा को देखने के लिए लोग अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे.

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शहर में निकाली परशुराम की झांकी
एक तरफ जहां ईद और परशुराम जयंती का उत्सव साथ होने की वजह से प्रशासन ने कड़े बंदोबस्त किए थे तो वहीं दूसरी ओर इन दोनों समाज के लोगों ने आपस में मिलकर उत्सव मनाया. भगवान परशुराम की शोभायात्रा में भगवान के अलग-अलग स्वरूप की झांकियां थी, जिसे देखने के लिए लोग अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. शोभायात्रा में शामिल पुरुषों ने सिर पर लाल पगड़ी बांध रखी थी, वहीं महिलाएं लाल साड़ी पहनकर मंगलगीत गाती हुई चल रही थीं.

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