Lok Sabha Election: कांग्रेस को जिन सीटों पर थी सबसे ज्यादा जीत की उम्मीद, वहां भी दिग्गजों ने चाटी धूल
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MP Lok Sabha Election Result: मध्य प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य रहा, जहां पर बीजेपी ने क्लीन स्वीप करते हुए सभी 29 लोकसभा सीटें जीत लीं. नतीजे आने के बाद देशभर में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली, वहीं मध्य प्रदेश में मामला एकतरफा रहा. यहां पर भाजपा ने कांग्रेस को 29-0 से हराकर सफाया कर दिया. भाजपा ने इससे पहले दिसंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनावों में भी एकतरफा जीत हासिल की थी. मगर लोकसभा चुनाव में तो विपक्ष का खाता तक नहीं खुला.
कांग्रेस ने इस बार कई दिग्गज नेताओं पर दांव खेला, मगर सबने निराश किया. जहां दिग्विजय सिंह का ये आधिकारिक तौर पर आखिरी चुनाव था. भाजपा की ऐतिहासिक जीत से कांग्रेस के बाकी नेताओं के चुनावी भविष्य पर भी संकट खड़ा हो गया है.
कांग्रेस का दावा निराधार साबित हुआ
मध्य प्रदेश में भाजपा के नेताओं ने 29 की 29 सीट भाजपा के नाम होने का दावा किया था, जबकि कांग्रेस के नेताओं ने भी 12-15 सीटों पर जीत का दावा किया था. लेकिन मतदान होने के बाद आए एग्जिट पोल में कांग्रेस को बुरी तरह से पराजय बताई गई, उसी दिन कांग्रेस ने दावा किया था कि मध्य प्रदेश में हमें 7 सीटों पर जीत मिलेगी.
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मध्य प्रदेश में भाजपा की हर चाल और हर मूव सही बैठा. वहीं कांग्रेस के नेताओं के लिए सिर्फ निराशा हाथ लगी. कांग्रेस ने अपने तीन दिग्गज नेता राजगढ़ से दिग्विजय सिंह, छिंदवाड़ा से नकुलनाथ और रतलाम से कांतिलाल भूरिया को टिकट दिया था. 2019 में कांग्रेस ने जो 1 सीट जीती थी, वह छिंदवाड़ा थी. ऐसे में यहां से जीतने के लिए कांग्रेस आश्वस्त थी. इसके अलावा राजगढ़ और रतलाम भी आसान सीट देखा जा रहा था.
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छिंदवाड़ा: विवेक बंटी साहू ने कमलनाथ से ऐसे लिया बदला
कांग्रेस 2019 की तरह यहां से जीत पाने के लिए आश्वस्त थी. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा में कांग्रेस ने इस बार ज़्यादा विस्तृत रूप से तैयारी नहीं की थी. उनकी यह गलती भारी पड़ गयी. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, जिसकी भरपाई अब मुश्किल से होगी. कमलनाथ 2018 चुनाव के बाद जब सीएम बने, तब उन्होंने छिंदवाड़ा की गद्दी अपने बेटे नकुलनाथ को सौंप दी थी. 2019 के चुनाव में नकुलनाथ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचने में सफल रहे थे. लेकिन इस बार भाजपा के बंटी विवेक साहू ने नकुलनाथ के विजयीरथ को रोक दिया. बंटी ने नकुलनाथ को 1,14,655 वोटो से शिकस्त दी.
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राजगढ़: दिग्गी का आखिरी चुनाव का इमोशनल कार्ड भी नहीं आया काम
कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह का यह आखिरी चुनाव था, कांग्रेस राजगढ़ में जीत पाने के लिए कॉन्फिडेंट थी. मगर दिग्विजय सिंह को एक खुशनुमा विदाई नही मिल पायी. भाजपा के रोडमल नागर ने दिग्विजय सिंह को 1 लाख 45 हजार वोटों से हराकर दिग्विजय की आखिरी पारी को यादगार बनने से रोक लिया है. दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने X पर लिखा, "सभी देश के मतदाताओं के निर्णय का स्वागत है. प्रजातंत्र मजबूत हुआ है. मोदीजी की योजनाओं में हुए भ्रष्टाचार का नतीजा उन्होंने भोगा. मध्य प्रदेश में कांग्रेस "क ,ख, ग ,घ--"से शुरू करनी पड़ेगी."
रतलाम: विक्रांत भूरिया पिता को नहीं जिता पाए चुनाव
रतलाम से भी कांग्रेस ने अपने एक दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को टिकट दी थी. कांग्रेस को इस सीट से भी खासी उमीदें थीं, मगर यह सारी उमीदों पर पानी फिर गया. रतलाम में कांतिलाल भूरिया को भाजपा की अनिता सिंह चौहान ने 207232 वोटो से मात दी. बता दे कांतिलाल भूरिया को लगातार इस सीट पर दूसरी बार हार का मुंह देखना पड़ा है.
ये हैं बीजेपी की जीत के 5 बड़े कारण
1) रतलाम सीट को आदिवासी सीट माना जाता है ऐसे में यह कांग्रेस के पक्ष में जाने के आसार थे लेकिन यहां आदिवासी कार्ड नही चला और कांग्रेस को यहां करारा झटका लगा है.
2) अनिता मध्य प्रदेश के वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी है, 73.54 फीसदी आबादी रतलाम की अनुसूचित जतजाति की है और यह फैक्टर अनिता को जिताने में अहम रहा.
3) दिग्विजय सिंह का आखिरी चुनाव वाला कार्ड उनके हित में साबित नही हुआ और वह रोडमल नागर के विजयी लहर में हार गए.
4) टिकट की घोषणा के पहले से ही छिंदवाड़ा सीट पर बीजेपी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी थी. बीजेपी की पुरजोर तैयारियों से ही भाजपा कांग्रेस का किला भेदने में सफल रही.
5) ओवरआल मध्य प्रदेश में भाजपा की लहर इतनी तेज थी की कांग्रेस को हर सीट पर हार का सामना करना पड़ा.
इनपुट- एमपी तक के लिए वरुल चतुर्वेदी.
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